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________________ [ पद् हस्त रेखा शास्त्र [ वृहद् हस्त रेखा शास्त्र सैकड़ों हस्त रेखा चित्रों सहित - मनुष्य के हाथ की रेखाएं भूत, वर्तमान और भविष्य का दर्पण होती हैं और यही रेखाएं मनुष्य के चरित्र, मानसिक स्थिति, शारीरिक दशा, विवाह, व्यवसाय, संतान के अतिरिक्त जीवन में घटने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं, सम्पन्नता या दरिद्रता की स्थिति आदि का बोध कराती हैं। मामूली सा चिन्ह, त्रिकोण, यव, चतुष्कोण व त्रिशुल तारे जैसे सूक्ष्म चिन्हों का हाथ में होने का क्या शुभ-अशुभ, आयु के किस दौर में पड़ता है, इन सभी विषयों पर व्यापक व विस्तृत प्रकाश डाला गया है तथा शारीरिक लक्षणों की भी जानकारी दी गई है। रेखाएं कर्म से बदलती रहती हैं, अपने भाग्य व भविष्य के प्रति रेखाओं के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर उद्यम करके आप अपनी रेखाएं बदल भी सकते हैं। आवश्यकता केवल ध्यान व एकाग्रता से इस पुस्तक को पढ़कर समझने की है। यदि आप भविष्य व वर्तमान का सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपके लिए यह अनमोल व दुर्लभ पुस्तक है। नम्र सूचन इस ग्रन्थ के अभ्यास का कार्य पूर्ण होते ही नियत समयावधि में शीघ्र वापस करने की कृपा करें. जिससे अन्य वाचकगण इसका उपयोग कर सकें. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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