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________________ जीवन रेखा से भाग्य रेखा दूर होने पर आरम्भ में थोडी कठिनाई तो होती ही है परन्तु इनकी आर्थिक स्थिति अच्छी चलती रहती है। ऐसे व्यक्ति स्वयं जीवन बनाते हैं। आरम्भ में कुछ संघर्ष करके अपने आप ही उन्नति की ओर अग्रसर होकर प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं। ये बुद्धिमान, जिम्मेदार तथा आलोचक होते हैं, परन्तु इनकी आलोचना निरर्थक नहीं होती जो भी कहते हैं, नाप तोल कर सही बात कहते हैं। भाग्य रेखा जीवन रेखा के पास = भाग्य रेखा निकास के स्थान से जीवन रेखा के पास आने पर अन्तर कम हो जाता है तो इस प्रकार की भाग्य रेखा को जीवन रेखा के पास आई हुई रेखा मानते हैं। कभी-कभी तो इसकी दूरी आधा या चौथाई इंच तक ही रहती है। एक से अधिक भाग्य रेखाएं इस दोष के फल का लगभग निराकरण कर देती हैं (चित्र-115)। यह भाग्य रेखा जीवन में कई प्रकार के झंझट या उतार-चढ़ाव का लक्षण है। ऐसे व्यक्ति लिहाज अधिक करते हैं। इनका परिवार किन्हीं कारणवश इक्कठा रहता है और इन्हें सह-परिवार के साथ निर्वाह करना होता है। कुछ और नहीं तो इन्हें अपने परिवार से लगाव अधिक होता है। चाहते या नहीं चाहते हुए भी इन्हें अपने परिवार की लगातार सहायता करनी पड़ती है, जिससे स्वयं के निर्माण की ओर ध्यान नहीं जाता। कई बार घर के किसी उत्तरदायी व्यक्ति की मृत्यु होने से परिवार का भार कन्धों पर आने पर भी ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होती है। चित्र-115 = पतली भाग्य रेखा = अन्य रेखाओं के अनुपात में भाग्य रेखा पतली होने पर उत्तम लक्षण है। अधिकतर देखने में आया है कि भाग्य रेखा आरम्भ में मोटी होकर आगे जाकर ही पतली होती है। यह पहले भी बताया जा चुका है कि भाग्य रेखा जितनी पतली व जीवन रेखा से दूर होती है, व्यक्ति उतना ही धनवान व भाग्यशाली होता है। भाग्य रेखा जैसे-जैसे पतली होती जाती है, व्यक्ति के सुख, धन एवं मानसिक शान्ति बढ़ते चले जाते हैं। मोटी भाग्य रेखा लालच की भावना बढ़ाती है, परन्तु पतली भाग्य रेखा उदारता जैसे 186 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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