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ही भाग्योदय होता है। मस्तिष्क या जीवन रेखा से भाग्य रेखा निकलने पर, यदि सूर्य रेखा से भाग्य रेखा निकलती हो तो उस-उस आयु में यह लाभ होता है।
= जीवन रेखा से छोटी भाग्य रेखाएं निकलना =
जीवन रेखा का विस्तारपूर्वक अध्ययन करते समय जीवन रेखा से छोटी-छोटी पहली रेखाएं, जिन्हें हम रोमांच भी कह सकते हैं, शनि पर या शनि की ओर जाती देखी जाती हैं। ये रेखाएं छोटी या बड़ी दोनों प्रकार की होती हैं। कई बार तो ये शनि पर पहुंचती हैं और कई बार छोटी-छोटी रोम जैसी 1/4 इन्च लम्बी होती हैं। ये भाग्य रेखाएं बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। छोटी रेखाएं अस्थायी रूप में लाभ करती हैं तथा लम्बी रेखाएं स्थायी रूप से जीवन को प्रभावित करती हैं। इनके अतिरिक्त भी भाग्य रेखा जीवन रेखा से ठीक शनि के नीचे से उदय होकर शनि की ओर जाती है। यह अत्यन्त महत्वपूर्ण और शक्तिशाली रेखा है, मुख्य भाग्य रेखा न होने पर इसका विशेष महत्व होता है। (चित्र-111)।
जिस आयु में ये भाग्य रेखाएं निकलती हैं, उस आयु में जीवन में परिवर्तन व विकास का द्योतक होती हैं। ये व्यक्ति को कारोबार में उन्नति, नौकरी में होने पर पदोन्नति तथा नये शिशु का शुभ जन्म आदि की शुभ सूचना भी देती हैं। कभी-कभी ऐसी छोटी भाग्य रेखाएं जीवन रेखा में अनेक होती हैं। ऐसे व्यक्ति भाग्यशाली होते हैं तथा शीध्र व लगातार सफलता
चित्र-111 प्राप्त करते हैं।
इन रेखाओं की संख्या एक या दो होने पर, यदि शनि के नीचे जीवन रेखा से निकली हों और कुछ मोटी हों व शनि की उंगली तक जाएं तथा मुख्य भाग्य रेखा हाथ में न हो तो ये मुख्य भाग्य रेखा ही मानी जाती है। यदि ऐसी रेखाएं बिना रुके निर्दोष होकर सीधी शनि पर जाती हों तो मुख्य भाग्य रेखा से भी महत्वपूर्ण होती हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि ऐसे व्यक्ति के हाथ में मुख्य भाग्य रेखा न होने पर इस प्रकार की रेखाएं हों तो व्यक्ति मुख्य भाग्य रेखा की तुलना में अधिक भाग्यशाली होता है। यदि ये रेखाएं दो हों और दोनों ही निर्दोष होकर शनि पर पहुंचती हों तो बहुत ही उत्तम लक्षण है। ऐसे व्यक्ति आरम्भ से ही सम्पन्न होते हैं तथा इन रेखाओं के निकलने की आयु से विशेष उन्नति करते हैं। हाथ अच्छा होने पर यह विशेष लक्षण माना जाता है। ऐसे व्यक्ति न्याय से धन कमाने वाले और किसी अन्य
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