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________________ प्राप्त होते हैं, परन्तु संघर्ष व बल से सफलता प्राप्त होती हैं। इस दशा में किसी के याद दिलाने पर इतना अवश्य कह देते हैं कि हमारी ईश्वर ने मदद की है। अन्य रेखाओं में दोष होने के कारण, इन्हें मानसिक शान्ति तो नहीं मिलती, परन्तु जो सोचते हैं पूरा हो जाता है। . पतला हाथ होने पर अच्छी भाग्य रेखा लाभप्रद नहीं होती, उल्टा हानि करती है, तो भी इन्हें रोटी अवश्य मिलती रहती है। ऐसे व्यक्ति दूसरों को लड़ाने, बिना मतलब झगड़े बाजी में पड़ने, निरर्थक बहस करने तथा दूसरों को समझाने आदि कार्यों में अपना समय बरबाद करते हैं। नशीली वस्तुओं के सेवन तथा वेश्यागमन आदि से भी अपना जीवन खराब करते देखे जाते हैं। ___ अच्छी भाग्य रेखा वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य भी। अच्छा रहता है। जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा दोषपूर्ण होने पर स्वास्थ्य खराब तो रहता है, परन्तु कोई विशेष नहीं। एक सुन्दर भाग्य रेखा होने पर अंगूठे के मूल में जितनी मोटी रेखाएं होती हैं, व्यक्ति उतने ही काम बदलता है या उतने ही काम एक साथ करता है। सूर्य पर पाई जाने वाली रेखाओं से भी यही अनुमान लगाया जाता है। भाग्य रेखा उत्तम होने पर व्यक्ति का जिससे भी विशेष सम्पर्क हो, जैसे कोई प्रेम-मित्रता आदि होते =1 हैं, बड़े काम पर लगे होते हैं या बड़े घर के होते हैं। चित्र-98 हाथ यदि थोड़ा भी कठोर हो तो ऐसे व्यक्ति टेक्नीकल काम करने वाले और कोमल होने पर बौद्धिक कार्य करने वाले जैसे क्लर्क, वक्ता, एकाउन्टेन्ट आदि होते हैं। बुध का नाखून चौकोर होने पर हाथ से सभी ग्रह उठे हों तो सलाहकार या अध्यापक का कार्य करते हैं। मस्तिष्क रेखा में अन्य शाखाएं हों और हाथ कोमल हो तो राजनैतिक क्षेत्र में कार्य करने वाले होते हैं। समकोण हाथ में अच्छी भाग्य रेखा, अत्याधिक गुणकारी होती है। ऐसे व्यक्ति धनी-मानी तथा प्रतिष्ठित होते हैं। उत्तम भाग्य रेखा यदि मोटी हो तो व्यक्ति शोषण करने वाला होता है। ऐसे व्यक्ति के साथ मिलकर व्यापार नहीं करना चाहिए। ये लोभी होते हैं और दूसरे का धन हड़प कर के धनी बनते हैं। भाग्य रेखा जीवन रेखा के साथ घूम कर शुक्र को घेरती हो तो ऐसे व्यक्ति व्यापार ही करते हैं, परन्तु यदि चन्द्रमा की ओर मुड़ती हो तो नौकरी करते हैं। इसकी शाखाएं दोनों ओर जाने पर व्यापार तथा नौकरी दोनों ही करते हैं। 172 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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