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________________ व्यक्ति से इन्हें सन्तोष प्राप्त नहीं होता। ऐसे व्यक्तियों के साथ प्रेम का व्यवहार करना चाहिए। मोटी मस्तिष्क रेखा परिवार, धन, स्त्री, स्वास्थ्य, निवास, शिक्षा आदि में असन्तोष का कारण बनती है। ऐसे व्यक्तियों का मस्तिष्क साधारण होता है। मोटी मस्तिष्क रेखा सीधी होकर बुध की उंगली तक हो तो मस्तिष्क तो अच्छा होता है, किन्तु अन्य दोष पाये जाते हैं। ऐसे व्यक्तियों को खट्टे पदार्थ पसन्द होते हैं जबकि इससे इन्हें हानि होती है। इनके जीवन साथी का स्वास्थ्य कमजोर रहता है। मस्तिष्क रेखा मोटी होने पर मंगल उठा हो तो इनके जीवन में झगड़े बहुत होते हैं। घर, मित्रों व रिश्तेदारों से झगड़ा रहता है। जहां जाते हैं, विरोध होता है क्योंकि ये कड़वा बोलते हैं। मस्तिष्क रेखा आरम्भ में मोटी होने पर, इनके परिवार वाले इनकी पत्नी को कटु-वचन कह कर तंग करते हैं। मोटी मस्तिष्क रेखा के साथ, यदि उंगलियां भी मोटी हों तथा अंगूठा कम खुलता हो तो व्यक्ति के निवास के आसपास का वातावरण अच्छा नहीं होता। ऐसे व्यक्ति जहां भी रहते हैं, वातावरण में कोई न कोई कमी महसूस करते ही हैं, विशेषतया उस समय तक जब तक कि मस्तिष्क रेखा में मोटापन होता है। इनका निवास भी तंग स्थान पर गली के अन्दर होता है और मकान के पास कूड़ा घर आदि बना होता = पतली मस्तिष्क रेखा = मस्तिष्क रेखा अन्य रेखाओं की तुलना में पतली होने पर पतली मानी जाती है। यह भी मस्तिष्क रेखा का दोष है। पतली मस्तिष्क रेखा के दोषपूर्ण होने पर दोष के परिणाम बढ़ जाते हैं और दोषपूर्ण न होने पर विशेष कष्ट कारक नहीं होती। ऐसे व्यक्ति वहमी, दार्शनिक तथा धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं, यदि यह रेखा निर्दोष होकर चन्द्रमा की ओर जाती हो तो धार्मिक प्रवृत्ति बढ़ जाती है और वहम, अन्धविश्वास में बदल जाता है, फलस्वरूप ऐसे व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति कर जाते हैं। यदि मस्तिष्क रेखा पतली व दोषपूर्ण हो और चन्द्रमा की ओर जाती हो तो ऐसे व्यक्तियों को वहम या पागलपन आदि रोग हो जाते हैं। मस्तिष्क रेखा पतली होकर सीधी व निर्दोष हो तो बदमाश होता है। हाथ लाल या काला हो तो बड़े-बड़े षड़यंत्र करने वाला होता है। उंगलियां पतली होने पर यह विशेषता बढ़ जाती है। जहां पर ध्यान देने की बात है, ऐसी मस्तिष्क रेखा विशेष सीधी होनी चाहिए। 162 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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