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________________ यदि ऐसी ही रेखाएं शनि के नीचे से निकल कर अंगूठे वाले मंगल की ओर जाती हों तो स्वयं या भाई-बहन या सन्तान को पैर में कोई न कोई दोष पाया जाता है। बुद्धिमान होते हुए भी इनके व्यवहार को लोग कम पसन्द करते हैं और बड़ी आयु में इनका व्यवहार स्वतः ही ठीक हो जाता है। यदि शनि के अलावा, दूसरे स्थान से ऐसी रेखाएं निकलकर नीचे की ओर जाती हो तो मानसिक परेशानी का कारण होती हैं तथा रोग से सम्बन्ध रखती हैं। देर से आरम्भ होने वाली मस्तिष्क रेखा ऐसी मस्तिष्क रेखा जो जीवन रेखा के अन्दर या उसके ऊपर से आरम्भ न होकर शनि की उंगली के नीचे से आरम्भ होती हैं - (चित्र - 84 ) । कभी-कभी यह दूसरी मस्तिष्क रेखा के साथ होती है जो इसको ढके रहती है । यह भी मस्तिष्क रेखा का दोष है। अतः दोषपूर्ण मस्तिष्क रेखा के फल जो शनि के नीचे दोषपूर्ण मस्तिष्क रेखा पर लागू होते हैं, यहां भी कहे जा सकते M हैं। चित्र - 83 चित्र - 84 देर से आरम्भ होने वाली मस्तिष्क रेखा होने पर स्वयं या सन्तान की जिव्हा में कोई न कोई दोष, तुतलाना या हकलाना अवश्य होता है। दोनों हाथों में यह लक्षण होने पर निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है। जीवन रेखा भी दोषपूर्ण हो तो इस प्रकार का दोष अधिक प्रबल रूप में होता है। इनकी सन्तान के कान में भी दोष पाया जाता है। इनके जीवन साथी का स्वास्थ्य आरम्भ में कमजोर रहता है। किसी बच्चे को पोलियो का डर होता है, परन्तु इसके लिए जीवन रेखा के आरम्भ में दोष होना आवश्यक है। ऐसे व्यक्तियों पर किसी भी मादक द्रव्य का प्रभाव शीघ्र व अधिक होता है तथा देर से तरक्की करते हैं। इन्हें आरम्भ में हर काम में रुकावट आती है और कुछ न कुछ दिक्कतें तो जीवन भर आती ही रहती हैं। यदि H. K. S-10 160 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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