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________________ - --- शाखान्वित मस्तिष्क रेखा। शाखान्वित मस्तिष्क रेखा दो प्रकार से हाथों में देखने में आती है। एक तो मस्तिष्क रेखा से ही छोटी या बड़ी शाखाएं निकलकर इधर-उधर जाती हैं। दूसरे प्रकार से, मस्तिष्क रेखा स्वयं दो भागों में विभक्त हो जाती है (चित्र-80)। इनका भेद ध्यान से देखने पर आसानी .. से किया जा सकता है। दोनों ही प्रकार की मस्तिष्क रेखाएं लगभग एक-सा फल प्रदान करती हैं। द्विभाजन होने पर मस्तिष्क रेखा के ही दो भाग हो जाते हैं, और दोनों भागों की मोटाई लगभग एक-सी होती है, दोनों । भाग लम्बे या छोटे कैसे भी हो सकते हैं। ऐसा देखने में आया है कि आरम्भ में मस्तिष्क रेखा द्विभाजन होने । पर, इसकी शाखाएं लम्बी नहीं होती, परन्तु अन्त में द्विभाजित होने वाली रेखा का द्विभाजन लम्बा या छोटा चित्र-80 किसी भी प्रकार का हो सकता है। मस्तिष्क रेखा से निकलने वाली छोटी शाखाएं रोम जैसी पतली होती हैं। मोटी शाखाएं, मस्तिष्क रेखा से निकलने पर यदि मस्तिष्क रेखा की मोटाई पर उससे कोई प्रभाव नहीं पड़ता हो तो ये अलग रेखाएं मानी जाती हैं। मुख्य मस्तिष्क रेखा की मोटाई कम होती हो तो, इसे मस्तिष्क रेखा की शाखा माना जाता है। ऐसे व्यक्तियों में कर्तव्यशक्ति अधिक होती हैं और ये अपने ही मस्तिष्क से अपने ही पैरों पर खड़े होकर धन व श्रेय अर्जित करते हैं। किसी के दबाव में रहना पसन्द नहीं करते। ऐसे व्यक्ति किसी भी बात को . चित्र-81 अधिक महसूस करने वाले होते हैं। ऐसे व्यक्तियों को भविष्य में होने वाली घटनाओं का आभास आसानी से हो जाता है। ~ 1 = मस्तिष्क रेखा में छोटी-छोटी शाखाएं मस्तिष्क रेखा से जिस आयु में शाखा निकलती है, उस आयु में व्यक्ति शिक्षा ग्रहण करता है या किसी प्रतियोगिता में भाग लेता है। यदि बृहस्पति उत्तम अर्थात 158 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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