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शनि के नीचे टूटी रेखा या द्वीपयुक्त आदि हो तो सारा जीवन ही अशान्तिपूर्ण रहता
दोनों हाथों में इस प्रकार की मस्तिष्क रेखा होने पर व्यक्ति अत्याधिक भावुक होते हैं, हृदय रेखा में द्वीप आदि लक्षण पाये जाने पर ऐसे व्यक्ति
आत्महत्या तक कर लेते हैं। मस्तिष्क रेखा यदि एकदम मुड़ कर धीरे-धीरे चन्द्रमा की ओर उतरी हो तो दोषपूर्ण के बजाए उत्तम होती है, ऐसे व्यक्ति कवि, लेखक आदि होते हैं, परन्तु एकदम, मस्तिष्क रेखा का झुकाव हो जाना भारी दोष माना जाता है। ऐसे व्यक्ति प्रेम सम्बन्ध टने, बेमेल विवाह होने, परिवार में क्लेश आदि घटनाएं होने पर आत्महत्या तक कर लेते हैं, हृदय रेखा भी
चित्र-72 टूटी हो तो इनके आत्म-सम्मान को ठेस लगने पर भी आत्महत्या कर लेते हैं।
स्त्रियों के हाथों में ऐसे लक्षण बहुत खराब होते हैं। स्त्रियां तो पहले ही पुरुषों से अधिक भावुक होती हैं, इनके साथ कोई भी अपमानजनक घटना होने पर आत्महत्या करते देर नहीं लगती, अन्यथा सोचती तो अवश्य ही हैं। यह देख लेना चाहिए कि भाग्य रेखा के आरम्भ में कोई बड़ा द्वीप तो नहीं है या भाग्य रेखा, जीवन रेखा के पास तो नहीं आ गई है, क्योंकि भाग्य रेखा के उपरोक्त लक्षणों से परिवार में क्लेश व अशान्ति का भयंकर रूप देखने में आता है। सोचते समय ऐसे व्यक्ति एकाग्रचित हो जाते हैं, फलस्वरूप इनके साथ दुर्घटना आदि की घटनाएं अधिक होती हैं। यदि जीवन रेखा व हृदय रेखा निर्दोष हो तो इसका प्रभाव बहुत कम हो जाता है, परन्तु जिस आयु में यह झुकाव होता है, उसमें किसी सम्बन्धी की मृत्यु, धन हानि, स्वयं को या परिवार में रोग आदि की घटनाएं अवश्य घटित होती हैं।
मस्तिष्क रेखा में एकदम झुकाव होने पर परिवार के किसी व्यक्ति में चरित्र दोष भी पाया जाता है। यदि भाग्य रेखा भी मोटी हो तो व्यक्ति को स्वयं के लिए भी इस प्रकार का फल कह देना चाहिए।
मस्तिष्क रेखा का अन्त (मंगल पर)
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पचास प्रतिशत व्यक्तियों के हाथों में मस्तिष्क रेखा का अन्त मंगल पर होता है। सीधी मंगल पर जाने की दशा में मस्तिष्क रेखा लम्बी हो जाती है, यह तो इतना
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