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________________ दोष समाप्त होने पर स्वास्थ्य में सुधार हो जाता है। जिस आयु तक यह दोष रहता है, जीवन में अशान्ति ही अशान्ति रहती है। इनका गला नाजुक होता है और यदि जीवन रेखा में कोई दोष या मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा का अन्तर कम अर्थात् दोनों पास-पास आ गई हों तो सांस की नली या फेफड़ों का दमा हो जाता है। नजला-जुकाम के विषय में इनको बहुत सावधानी रखनी चाहिए। = शनि के नीचे मस्तिष्क रेखा में दोष - - यह दोष विशेषतया व्यक्ति के स्वास्थ्य के विषय में विचारणीय है। इनके कई अन्य फल भी होते हैं, परन्तु दूसरी रेखाओं के साथ समन्वय करने पर स्वास्थ्य के विषय में इस दोष के चिन्तन का परिणाम बहुत ही ठोस निकलता है। यह एक महत्वपूर्ण लक्षण है तथा जीवन के प्रत्येक पहलू पर प्रभाव डालता है। यदि मस्तिष्क रेखा में दोष है तो जीवन की हर घटना पर इसका प्रभाव पड़ता है (चित्र-64)। शनि के नीचे मस्तिष्क रेखा में दोष होने के साथ, यदि जीवन रेखा के प्रारम्भ अर्थात् बृहस्पति के नीचे दोष हो तो व्यक्ति के कन्धे या आस-पास के भाग में कोई न कोई बीमारी पाई जाती है। यदि जीवन रेखा के बिल्कुल आरम्भ में ही कोई दोष हो तो गले पर इसका प्रभाव पड़ता है। जीवन रेखा के मध्य में दोष होने पर व्यक्ति के पेट, भोजन नली, आंतें तथा रीढ़ की हड्डी में इसका प्रभाव पड़ता है। जीवन रेखा के उत्तरार्द्ध में इसका प्रभाव व्यक्ति के फेफड़ों, हृदय आदि पर पड़ता है, अर्थात् उपरोक्त अंगो में बीमारी पाई जाती है। हाथ में कहीं भी नेष्ट लक्षण होने के साथ यदि मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे दोष हो तो उसके उपरोक्त लक्षणों के आधार पर बताए गए दोषों चित्र-64 की पुष्टि की जा सकती है। हृदय रेखा में यदि शनि के नीचे और मस्तिष्क रेखा में शनि के ऊपर कोई दोष होने पर गुर्दा, हार्निया, अपैन्डिक्स, दांत रोग एवं अण्डकोषों में बीमारी पाई जाती है। स्त्रियों में यह लक्षण दांत एवं गर्भाशय विकार का लक्षण है। हृदय रेखा टूटी होने पर यदि मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे दोष हो तो हृदय रोग होता है और शुक्र या चन्द्रमा उठा होने पर मानसिक विकृति हो जाती है। इसी प्रकार स्वास्थ्य के विषय में सोचते समय हमें मस्तिष्क रेखा के दोष का प्रभाव अवश्य 141 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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