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या काटती हो तो बचपन में उस व्यक्ति के पिता या अन्य किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है।
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== जंजीराकार जीवन रेखा
जीवन रेखा पतली होकर छोटे-छोटे द्वीपों से मिलकर यदि जंजीर की आकृति बनाती हो तो शरीर में कोई न कोई दोष जैसे तुतलाना, स्नायु विकार, कम्पन, गूंगापन, फेफडे खराब होना आदि पाये जाते हैं। ऐसे व्यक्ति स्वास्थ्य की ओर तो ध्यान देते हैं, परन्तु सफाई के मामले में लापरवाह होते हैं। इनका कोई न कोई अंग भी बढ़ जाता है। हाथ भारी, जीवन रेखा गोलाकार व मस्तिष्क रेखा निर्दोष होने पर दोषपूर्ण फल लेश मात्र होते हैं। ___ अन्त में यदि जीवन रेखा जंजीर द्वीप युक्त या जर्जरित हो तो बड़ी आयु में स्वास्थ्य खराब व धन की स्थिति भी खराब हो जाती है। इनकी कमर झुक जाती है और सुनना बन्द हो जाता है। यदि इस दशा में वृत्ताकार द्वीप जीवन रेखा में हो तो आंखों से अन्धे भी हो जाते हैं। यह निर्णय अवश्य कर लेना चाहिए कि इस अवस्था में व्यक्ति मर तो नहीं जायेगा।
== जीवन रेखा में रोमांच
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जीवन रेखा गोलाकार व दोष रहित होने की दशा में छोटी-छोटी रेखाएं जीवन रेखा से निकल कर शनि की ओर जाती हैं। ये रेखाएं जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण फल प्रदान करती हैं। (चित्र-51)
जिस आयु में ऐसी रेखाएं निकलती हैं उस अवस्था में विशेष फलकारक होती हैं। जैसे सन्तान उत्पत्ति, धन-लाभ, पदोन्नति आदि। इन रेखाओं की लम्बाई 1/6 इन्च, कोई-कोई एक इंच या कभी-कभी एक शनि पर्वत पर भी जाती हुई देखी जाती है। विशेष भाग्य रेखा नहीं होने पर भी इन छोटी रेखाओं से वही उपलब्धि होती है जो किसी महत्वपूर्ण भाग्य रेखा से। जो हाथ रेखाओं के जाल से रहित होते हैं, उनमें इन रेखाओं का भी बहुत महत्व होता हैं व जिन हाथों में रेखाएं बहुत अधिक
चित्र-51
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