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________________ करने वाले होते हैं। ऐसे लड़कों को शराब पीने, लड़कियों के पीछे घूमने व अधिक बात करने की आदत हो जाती है। ये पिता से घबराते हैं और अन्तिम आयु में इसका अपेन्डिसाइटिस का ऑपरेशन होता है। जिस आयु में जीवन रेखा टूटी होती है, उस आयु में मुश्किल से मुश्किल कठिनाइयां तथा मानसिक परेशानियां खड़ी हो जाती हैं। कई बार देखने में आया है कि ये उस आयु में दिवालिया तक हो जाते हैं। यदि दूसरे लक्षण भी खराब हैं, तो बहुत बुरा होता है। स्त्रियों के हाथ में टूटी जीवन रेखा हो तो अति काम वासना या अधिक बच्चे होने के कारण आंखे खराब हो जाती हैं- इन्हें मासिक धर्म के रोग तथा सिर में भारीपन पाया जाता है। मासिक धर्म का रोग शादी के बाद स्वतः ठीक हो जाता है। ऐसी स्त्रियां चित्र-46 विवाह के पश्चात् शरीर से भारी होने लगती हैं। टूटी जीवन रेखा होने पर मस्तिष्क रेखा यदि बहुत अच्छी हो तो व्यक्ति में प्रपंच व छल-कपट की मात्रा बढ़ जाती है। हृदय रेखा में दोष, उंगलियां छोटी, हाथ में बृहस्पति की उंगली विशेष छोटी हो तो ऐसे व्यक्ति की चाल-ढाल व बातचीत में भी धोखा और बदमाशी होती है। धोखे से ही कमाने वाले जैसे तस्करी, चोरी तथा गलत कामों की दलाली आदि करते हैं। ये प्रपंची होते हैं, मगरमच्छ के आंसू एक मिनट में ही बहाकर दिखा सकते हैं, तथा स्त्रियों के प्रति इनकी रुचि वासनात्मक होती है। इनकी पत्नी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। यदि हृदय की रेखा की कोई शाखा मस्तिष्क रेखा पर मिलती है तो वह पहले ही साथ छोड़ जाती है। उसका स्वभाव तेज व गर्भाशय के रोग होने से गर्भ आदि गिरने की शिकायत पाई जाती है। इससे सन्तान सुख में भी बाधा आती है। यदि सन्तान हो तो उनमें लड़कियों की संख्या अधिक होती है। पत्नी सुस्त, जिद्दी तथा बहस करने व लड़ने वाली होती है। ऐसे व्यक्ति स्वयं भी पत्नी की कम सुनते हैं। यदि जीवन रेखा टूट कर एक दूसरे के ऊपर चढ़ी हो, अर्थात् टूटने से पहले ही दूसरा भाग आरम्भ होता हो तो यह थोड़े संघर्ष का ही संकेत देती है। शेष इससे धन, सन्तान आदि सभी प्रकार का सुख रहता है। यह पेट के ऑपरेशन का भी लक्षण होता है। यदि टूटी जीवन रेखा, किसी चतुष्कोण के द्वारा आच्छादित हो तो दोषपूर्ण फल केवल नाम मात्र का होता है और थोड़े समय के लिए ही ऐसे व्यक्ति परेशानी भुगतते हैं। अन्त में इन्हें सुख प्राप्त होता है। 127 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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