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________________ स्वभाव का पाया जाता है, जैसे क्रोधी एवं स्वाभिमानी, लेकिन प्रायः देखने में आता है, ये बहुत चालाक होते हैं । दोहरी जीवन रेखा वाले व्यक्ति कुलीन होते हैं व जीवन भर अपने कुल की मर्यादा को आंच नहीं आने देते हैं। VAA तीन जीवन रेखाएं होने पर स्वाजातीय प्रतिष्ठित वंश में पैदा होते हैं। बात अधिक करते हैं तथा क्रोधी प्रकृति के होते हैं । दोहरी जीवन रेखा वाले व्यक्ति स्वास्थ्य की अधिक परवाह करते देखे जाते हैं। इसी कारण यह अधिक वासना पसन्द करते हैं। जीवन रेखा और हृदय रेखा दोनों ही दोहरी हों तो व्यक्ति को जीवन साथी से अधिक प्रेम होता है और इनका जीवन साथी सुन्दर होता है। स्वयं का स्वभाव बहुत क्रोधी व जीवन साथी सीधा और मलीन और मेहनती होता है। ऐसे व्यक्ति अपने जीवन साथी को देवता के समान मानते हैं और उसके बिना एक दिन भी नहीं रह सकते। उसकी मृत्यु के बाद यह बहुत जल्दी ही मर जाते हैं। यदि जीवन रेखा में किसी प्रकार का दोष नहीं है तो बच्चे बिल्कुल भी लापरवाह नहीं होते। इनके किसी बच्चे के दांत पर दांत है। दांत पर दांत होना भाग्यशाली होने का चिन्ह माना जाता है। ऐसे बच्चे इस तरह उन्नति करते हैं कि परिवार में इनका नाम होता है। इनमें किसी प्रकार की गन्दी आदत नहीं होती। दोहरी जीवन रेखा वाले व्यक्तियों के एक से अधिक आय के साधन पाये जाते हैं। चित्र - 41 दोनों जीवन रेखाओं में से यदि किसी एक जीवन रेखा में दोष हो और दूसरी जीवन रेखा में कोई दोष न हो तो स्वास्थ्य तथा धन सम्बन्धी विपत्ति आती है, लेकिन बिना किसी विशेष कष्ट दिये टल जाती है। यदि दोनों ही जीवन रेखाएं एक ही समय में दोषपूर्ण हों तो परिस्थिति सचमुच सोचनीय होती है, साथ ही मस्तिष्क रेखा में भी इस समय में दोष होने पर गम्भीरता से सोचने की आवश्यकता होती है। उस समय व्यक्ति के ऊपर अवश्य ही बड़ी विपत्ति आती है, परन्तु दोहरी जीवन रेखा का स्वभाव खतरों से रक्षा करना है। अतः ऐसे व्यक्ति धैर्य से उस समय को काट जाते हैं । दोहरी जीवन रेखा में एक लाल या काली हो तो उस व्यक्ति को शराब की आदत होती है। ऐसा व्यक्ति शराब का अत्याधिक आदी होता है। Jain Education International 120 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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