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________________ जीवन रेखा का अन्त जीवन रेखा का अन्त शुक्र, चन्द्रमा या इन दोनों के बीच होता है। शुक्र व चन्द्रमा के मध्य में अन्त होने पर साधारण फल देने वाली जीवन रेखा होती है। जीवन रेखा के आकार तथा उसकी बनावट एवं गुणों के अनुसार ही इसका फल कहना चाहिए। परन्तु जो जीवन रेखा चन्द्रमा पर जाकर समाप्त होती है, उसका फल भिन्न होता है। चन्द्रमा पर जीवन रेखा का अन्त जीवन रेखा जितनी ही सीधी होकर चन्द्रमा पर जाती है, व्यक्ति को उत्तरोत्तर उतना ही स्त्री, धन व सन्तान का सुख होता जाता है। ऐसे व्यक्तियों को अन्त में ही सुख मिल पाता है। जीवन रेखा चन्द्रमा पर जाने की दशा में हाथ टेड़ा- मेड़ा, पतला और उंगलियां तिरछी हों तो ऐसे व्यक्ति इधर-उधर घूमकर गुजारा करने वाले होते हैं। उंगलियां मोटी तथा भाग्य रेखा गहरी हो तो खेती का योग होता है, किन्तु जमीन एक स्थान पर नहीं रहती । खेत कहीं और घर कहीं पर होता है। चित्र - 36 जीवन रेखा गोलाकार होकर चन्द्रमा पर जाए तो परिवार बड़ा होने के कारण अशान्ति रहती है और चिन्ता का कारण बनता है। कोई सम्बन्धी भी इनकी चिन्ता का कारण बना रहता है। ऐसे व्यक्ति जायदाद की कमी महसूस करते हैं। चाहे कितने ही मकान हों, परिवार तथा कारोबार अधिक होने से सदैव ही स्थान की तंगी महसूस करते हैं। जीवन रेखा सर्वश्रेष्ठ वही मानी जाती है, जो बृहस्पति व मंगल के मध्य से उदय होकर पूर्ण रूप से शुक्र को घेरती हुई मणिबन्ध की ओर जाती है। ऐसी जीवन रेखा धन, सन्तान, सवारी, स्वास्थ्य, जीवन साथी तथा माता-पिता का पूर्ण सुख कराने वाली होती है। इस रेखा का अन्त मणिबन्ध के पास शुक्र व चन्द्रमा के बीच होता है। Jain Education International 113 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001758
Book TitleVruhad Hast Rekha Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Anand
PublisherGold Books Delhi
Publication Year
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size16 MB
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