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________________ जो हीरा लम्बा चपटा और गोल होता है वह स्त्री जाति के लिए गुणकारी है, हीरा रसायन के लिये उपयोगो तथा सर्व सिद्धियों का प्रदाता है । रोगों को नष्ट करने वाला बुढ़ापा और मृत्यु को दूर करने वाला है | हीरे की भस्म आयु, पुष्टि, बल, वीर्य, शरीर का सुन्दर वर्ण तथा काम सुख की वृद्धि करता है। हीरा भस्मी के सेवन करने से सम्पूर्ण रोग नष्ट हो जाते हैं । ज्योतिष में होरा शुक्र ग्रह के कुपित होने से व्यक्ति को इलोष्मिक पाण्डु, कामशक्ति दौर्बल्य, मूत्रकृच्छ तथा गुप्त यौन रोग उत्पन्न हो सकते है | शुक्रग्रह कारक रोगों से ग्रसित व्यक्ति को हीरा धारण करना चाहिये । हीरे के धारण से लाभ हीरा शुक्रग्रह का रत्न होता है । जो लोग हीरे को धारण करते हैं उनके चेहरे पर हर समय खिली हुई मुस्कान रहती है, भुंझलाहट और परेशानी उनके निकट नहीं आती। जीवन की दिनचर्या व्यवस्थित रहती है । इसके धारण करने से दाम्पत्य जीवन सरस हो जाता है । शरीर के अनेक रोगों पर भी हीरे की पकड़ है । जो लोग शरीर से कमजोर हैं, उनके लिये औषधि का काम करता है । इसके धारण से शरीर में शान्ति आती है । मानसिक दुर्बलता समाप्त होती है। नवीन चेतना का संचार होता है । प्रभाव में वृद्धि होती है । जीवन में जो विशेषतायें होनी चाहिये अनायास मनुष्य में आने लगती हैं । धारण विधि - हीरा कम से कम १० सेन्ट का पहनना चाहिये इससे अधिक वजन का धारण करना और भी उत्तम है । इस रत्न को चाँदी को रत्न ज्ञान [२१] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001754
Book TitleRatnagyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYogiraj Mulchand Khatri
PublisherShiv Ratna Kendra Haridwar
Publication Year
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Science
File Size6 MB
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