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________________ ★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * ८. त्रिकोण दोषयुक्त मोती पहनने से नपुन्सकता आती है। ९. दुबला-सा मोती पहनने से बल, बुद्धि दोनों नष्ट होती हैं। १०. मोती में चपटापन हो तो उसे धारण करने से बदनामी होती है। ११. ताम्र, माहिल, श्याम तथा सुर्ख वर्ण वाला मोती पहनने से भाई नष्ट होता है। १२. कौए के जैसे स्याह रंग के धब्बे वाला मोती सत्य का विनाश करता है। १३. गुलाबी, लाल या काला मस्सायुक्त मोती दुःख प्रदान करता है ऐसे मोती को मस्सादोषयुक्त मोती भी कहते हैं। १४. 'गिडली' दोषयुक्त मोती में चारों तरफ रेखा पड़ी होती है। इसे पहनने से हृदय में भय की उत्पत्ति होती है। इन चौदह दोषों से युक्त मोतियों को पहनने से दुःख मिलता है, इसलिये ऐसे मोतियों को कभी नहीं पहनना चाहिये। मोती के प्रकार आकाशमुक्ता-यह मोती बादलों में उत्पन्न होता है जो उत्पन्न होते ही देवताओं द्वारा हर लिया जाता है । यह सुन्दर मोती साधारण मनुष्य के नेत्रों से नहीं दिख सकता। इसे केवल योगी मानव की दिव्य दृष्टि ही देख सकती है और वही इसे प्राप्त भी कर सकते हैं। जिसके फलस्वरूप उनकी सब इच्छायें पूर्ण हो जाती हैं। शूकरमुक्ता-यह मोती वाराही वंश के शूकर के कुल में उत्पन्न होता है। यह सब जगह नहीं पाया जाता जहाँ पर शूकर अधिक मात्रा में पाये जाते हैं और जहाँ बहुत दुर्गन्ध आती हो वहाँ कभी-कभी बड़े वाराही शूकर के सिर पर यह मोती होता है। यह मोती गोल, सरसों के समान पीले रंग का और मटकटैया के फल के बराबर होता है। सिर पर धारण करने से मनुष्य को युद्ध में शूरवीर होकर विजय प्राप्त कराता है। सम्भोग के दौरान कमर में शूकरमुक्ता को रखने से स्त्री गर्भवती होकर पुत्र को जन्म देती है। इस मोती को धारण करने से सम्पत्ति, पुत्रसुख तथा स्वरसिद्धि मिलती है। शुक्तिमुक्ता-स्वाति नक्षत्र की बूंद के सीप में गिरने से यह मोती Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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