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________________ ६४ * रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * शक्ति बढ़ेगी और धन की वृद्धि होगी। तुला लग्न वालों को हीरा व मोती लाभप्रद होगा। वृश्चिक लग्न १. मंगल-पुरुषार्थ में वृद्धि होगी। शत्रुओं की संख्या में कमी होगी। छोटे भाइयों से लाभ प्राप्त होगा। २. गुरु-द्वितीय तथा पंचम भाव के स्वामी के बलवान होने पर जीवन के अनेक क्षेत्रों में सफलता मिलेगी। लाभ होगा और सम्मान मिलेगा। ३. शनि-धन में विशेष वृद्धि की आशा कदापि न करें। मित्रों से लाभ तथा सुख प्राप्त होगा। ४. शुक्र-आयु में वृद्धि, व्यापार में उन्नति तथा रति-क्रिया में सुख की प्राप्ति होगी। ५. बुध-विद्या की शक्ति प्राप्त होगी तथा सम्बन्धियों से सहयोग बढ़ेगा। ६. चन्द्र-पिता की आयु, स्वास्थ्य और धन में वृद्धि होगी। मानसिक शक्ति प्रदान होगी। ७. सूर्य-सात्त्विक कर्मों का उदय होगा, रोगों से छुटकारा होगा। वृश्चिक लग्न वालों के लिए मोती, मूंगा व माणिक्य लाभप्रद रहेगा। धनु लग्न १. गुरु-गुरु लग्नेश और चतुर्थेश बनता है और बलान्वित होकर घर में सुख-सामग्री की विशेष उन्नति अथवा वृद्धि करेगा। धन और सम्मान भी बढ़ाएगा। २. शनि-शनि दूसरे व तीसरे भाव का स्वामी बनता है। शनि के बलान्वित किए जाने पर धन में किसी विशेष वृद्धि की आशा न करनी चाहिए, क्योंकि शनि की मूल त्रिकोण राशि तृतीय भाव में पड़ती है। मित्रों से सहयोग व धन प्राप्त होगा। ३. मंगल-भाग्य को चमकाएगा, सुख में वृद्धि करेगा। परिवार के लिए शुभकारक सिद्ध होगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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