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________________ ५६ * रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * रखकर "ॐ ऐं जगीं शुक्राय नमः"। मन्त्र का उच्चारण करते हुये ४,००० बार जाप कर यन्त्र को अभिषिक्त करना चाहिये तथा शुक्र मन्त्र "ॐ अन्नात्परि तो रस ब्राह्मणा व्यपिवत्क्षत्रं पयः सोमं प्रजापति ऋतेन सत्यमिन्द्रियं विपान ॐ शुक्र मधसे इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृत मधु। श्री शुक्राय नमः"। मन्त्र का १६,००० बार जाप करें या विद्वान पण्डित से करवायें। इसके उपरान्त अंगूठी के हीरे में शुक्र की प्राण-प्रतिष्ठा करके अपने दायें अथवा बायें हाथ ही अंगुली में धारण करना चाहिये। इसके बाद कर्मकाण्ड कराने वाले ब्राह्मण को शुक्रयन्त्र गाय, हीरा, चाँदी, चावल, घृत, कपूर, श्वेत वस्त्र तथा यथाशक्ति दक्षिणा के साथ दान करना चाहिये। शनि रत्न 'नीलम' की धारण विधि जब शनि मकर अथवा कुम्भ राशि में हो या तुला राशि के उच्चस्थान में या जिस शनिवार को श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा, भाद्रपद, उत्तराषाढ़ा, चित्रा, स्वाति या विशाखा नक्षत्र हो, उस दिन ही नीलम को खरीद कर स्वर्ण, लोहा, रांगा, सीसा या पंचधातु (सोना, चाँदी, रांगा, सीसा और ताँबा) की अँगूठी में जड़वाना चाहिये। अंगूठी के लिये धातु का वजन ९ रत्ती से कम नहीं होना चाहिये तथा नीलम ४ रत्ती से कम का नहीं होना चाहिये। इससे जितना अधिक वजन का हो लाभ देने वाला है। साधारणत: ५ अथवा ७ रत्ती वजन का नीलम अधिक शुभ माना जाता है। अंगूठी तैयार होने के बाद शनिवार के दिन ही उपर्युक्त वर्णित नक्षत्रों व राशियों में शनि मण्डप बनाकर शनियज्ञ करते हुये “ॐ ऐं ह्रीं श्नैश्चराय नमः" का उच्चारण करते हुये ६,००० बार आहुति देनी चाहिये। इसके बाद धनुषाकार शनिस्थण्डल बनाकर व नौ तोले चाँदी के पत्तर पर निर्मित शनि यन्त्र को स्थापित करना चाहिये। शनियन्त्र में एक छोटा सा नीलम जड़ा होना चाहिये। शनियन्त्र पर अंगूठी को रखकर ही नीलम में शनि की प्राण-प्रतिष्ठा करनी चाहिये। फिर "ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शय्योरभिस्त्रवन्तु नमः । श्री शनैश्चराय नमः। मंत्र का २३,००० की संख्या में जाप करना चाहिये। इसके पश्चात् अंगूठी को अपने दाहिने हाथ की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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