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________________ * रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * केतु-रत्न लहसुनिया (Cat's Eye Stone) केतु-रत्न लहसनिया को संस्कृत में वैदूर्य, हिन्दी में लहसुनिया, अंग्रेजी में (Cat's Eye Stone) कहते हैं। यह नग अंधेरे में बिल्ली की आँखों के समान चमकता है। लहसुनिया ४ रंगों में पाया जाता है। काली तथा श्वेत आभा युक्त लहसुनिया जिस पर यज्ञोपवीत के समान तीन धारियाँ खिंची हों, वह वैदूर्य ही उत्तम होता है। पहचान१. असली लहसुनिया को यदि हड्डी के ऊपर रख दिया जाए तो वह २४ घण्टे के भीतर हड्डी के आर-पार छेद कर देता है। २. असली वैदूर्य में ढाई या तीन सफेद सूत्र होते हैं, जो बीच में इधर-उधर घूमते हिलते रहते हैं। धारण विधि-लहसुनिया रत्न बुधवार के दिन अश्विनी, मघा, मूल नक्षत्रों में रविपुष्य योग में पंचधातु की अंगूठी में कनिष्ठका अंगुली में धारण करें। धारण करने से पूर्व केतु के बीज मन्त्र द्वारा अंगूठी अभिमन्त्रित करें। ५ रत्ती से कम वजन का नहीं होना चाहिए। प्रत्येक ३ वर्ष पश्चात् नई अंगूठी में लहसुनिया जड़वाकर उसे अभिमन्त्रित कर धारण करना चाहिए। केतु बीज मन्त्र-"ॐ त्रां स्त्री स्त्रौं सः केतवे नमः"। रत्न धारण करने के पश्चात् बुधवार को ही किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण को तिल, तेल, कम्बल, धूर्मवर्ण का वस्त्र, सप्तधान्य (अलग-अलग रूप में) यथाशक्ति दक्षिणा सहित दान करें। विधिपूर्वक लहसुनिया धारण करने से भूत प्रेतादि की बाधा नहीं रहती है। सन्तान सुख, धन की वृद्धि एवं शत्रु व रोग नाश में सहायता प्रदान करता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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