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________________ ★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★ २१ आनन्द हुआ । १८. बलि की जिह्वा कटकर नदियों व पर्वत पर गिरी जहाँ पर उलूकमणि उत्पन्न हुई। १९. बलि का मुकुट और केश द्रोण पर्वत पर गिरे । स्वर्णमुकुट व केश से मिलकर वर्तक मणि उत्पन्न हुई। रामायणानुसार जब लक्ष्मण जी शक्ति के प्रभाव से मूर्छित हुए थे तब सुषेण वैद्यजी ने द्रोण पर्वत से संजीवनी बूटी मँगायी। हनुमानजी को बूटी लेने भेजा गया किन्तु हनुमानजी बूटी को पहचान न पाने के कारण पूरे पर्वत को ही उठा लाये जिससे लक्ष्मणजी की मूर्छा दूर हुई । तब प्रसन्न होकर श्री रामजी ने हनुमानजी को वर्तक मणि (लाजावर्त) का स्वामी बना दिया । २०. बलि के मल-मूत्र से मासर मणि उत्पन्न हुई। इसके स्वामी असुर हैं । इस मणि को एमनी भी कहते हैं । २१. बलि के वीर्य से भीष्मक मणि की उत्पत्ति हुई। इस प्रकार पृथ्वीलोक में बलि के शरीर - अंगों व तत्त्वों से इक्कीस रत्नों की उत्पत्ति हुई । ग्रहों के राशि क्षेत्र में रत्न भारतीय ज्योतिष शास्त्रानुसार मानव जीवनयापन करने के लिए सात प्रमुख ग्रह हैं - १. सूर्य, २. चन्द्रमा, ३. मंगल, ४. बुध, ५. बृहस्पति, ६. शुक्र, ७. शनि । राहु-केतु दोनों छाया ग्रह हैं अतः ये भी मानव जीवन को परोक्ष या अपरोक्ष रूप से अवश्य ही प्रभावित करते हैं । बृहस्पति, मंगल और चन्द्रमा ये मनुष्य के बाह्य व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं। जबकि शुक्र, बुध, सूर्य और शनि मनुष्य के आन्तरिक व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं । Jain Education International सूर्य मनुष्य की आत्मा को, चन्द्रमा मन को, मंगल धैर्य को, बुध वाणी को, बृहस्पति ज्ञान को, शुक्र वीर्य को और शनि सम्वेदना का प्रतिनिधित्व करता है । प्रत्येक ग्रह किसी न किसी गुण को या किसी न किसी दोष को For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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