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★ रत्न उपरल और नग नगीना ज्ञान ★ राशि में मंगल या केतु से आक्रान्त हो तो तपेदिक होने की सम्भावना होती है। इस रोग की रोकथाम के लिये, पीला पुखराज, सफेद मोती या लाल मूंगा धारण करने से रोग का प्रकोप कम होता है।
ग्रन्थिल ज्वर यह ज्वर भी वायरस का एक रूप है और यह बुखार युवाओं को अधिक होता है। इस रोग में जीवाणुओं के संक्रमण से लसीका ग्रन्थियों में सूजन आ जाती है। इस रोग का प्रारम्भिक लक्षण इनफ्लूएंजा के समान ही होते है। शरीर में थकान का अनुभव होता है तथा उपचार करने से कुछ समय बाद यह रोग अपने आप ठीक हो जाता है।
ज्योतिषीय विचार-इस रोग का कारक मंगल है। मंगल के साथ सूर्य या बुध का योग प्रायः इस रोग की ओर प्रेरित करता है।
लग्नेश के रत्न के साथ माणिक्य धारण करें। मंगल की शान्ति के लिये लाल मूंगा, लाल कपड़ा या धागा बाँधने से इस रोग के होने की सम्भावना कम होती है।
आधे सिर में दर्द ज्योतिषीय विचार-बुध ग्रह स्नायुओं का कारक है चन्द्र लग्न पाप ग्रहों से दृष्ट हो तो सिर दर्द की शिकायत होती है। सूर्य और चन्द्र पर शनि, मंगल की कुदृष्टि से तेज सिर दर्द होता है । मेष राशि पर शनि, राहु केतु की दृष्टि से आधे सिर में दर्द होता है। मंगल-राहु तथा सूर्य-शनि का योग भी इस रोग का कारण है।
- माणिक्य, मोती तथा पन्ना पहनें। नीलम या पुखराज चाँदी अथवा ताँबे की अगूंठी में पहने।नवरत्न का पेंडल गले में पहनना भी लाभदायक
दमा यह रोग प्राय: वंशानुगत ही होता है लेकिन प्रदूषित वातावरण तथा
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