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________________ १७४ ★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान ★ प्रभावित अंग सुन्न भी पड़ जाता है। उपचार एवं ज्योतिषीय सिद्धान्त अतिसार के अनुसार रहेंगे। इसका वर्णन पूर्व में किया जा चुका है। परागज ज्वर परागज ज्वर को रिनाइटिस के नाम से जाना जाता है। नजला, जुकाम या एलर्जी के कारण नासिका उत्पन्न होने के कारण यह ज्वर होता है। दूषित वातावरण में रहकर काम करने वाले व्यक्तियों को यह ज्वर अधिक होता है । सर्दियों में इसका प्रभाव बढ़ जाता है। भोजन के प्रति अरुचि उत्पन्न होने के साथ शरीर भी कमजोर होता जाता है। नाक बंद होने से स्नायुमण्डल की कार्यक्षमता कम हो जाती है । ज्योतिषीय विचार - अमावस्या के आस-पास जन्मे व्यक्ति इस ज्वर से अधिक पीड़ित होते हैं । मकर और कुम्भ राशि का मंगल नीच का होने तथा बुध और सूर्य की स्थिति कमजोर होने पर यह रोग अपना प्रभाव बढ़ाता है । छठे या बारहवें भाव में शनि-मंगल का योग भी इस रोग का कारक है । 1 इस रोग में रत्नों की भस्म का सेवन हितकारी होता है। समान वजन का पन्ना तथा माणिक्य धारण एक साथ करने से लाभ अवश्य होता है । पुखराज तथा मोती भी इस रोग का निवारण करने की क्षमता रखने वाले रत्न हैं । एड्स एड्स एक भयंकर रोग है । H.I.V. विषाणु से बाधित लोगों को ही यह रोग होता है। अभी तक इस रोग का इलाज असम्भव है । इस रोग के रोगी काफी कमजोर हो जाते हैं । अतः लगातार बुखार रहता है पसीना बहुत आता है । यह रोग जन्म से नहीं होता है। बच्चे को माँ से होता है यदि स्त्री गर्भवती है तो विषाणु बच्चे के शरीर में फैल जाते हैं । यह रोग वैश्या के पास जाना, नशीले पदार्थों का सेवन करने से तथा किसी दूसरे का खून चढ़ाने से होता है आदि । ज्योतिषीय विचार - शुक्र, मंगल, वृषभ, वृश्चिक राशि में हो उन For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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