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________________ १६२ * रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * जाते हैं तो इस रोग के होने की आशंका या सम्भावना लगभग खत्म हो जाती है। इसीलिये आवश्यक है कि बच्चों को पोलियो प्रतिरक्षीकरण टीके लगवाने चाहिये। ज्योतिषीय विचार-पोलियो का कारक ग्रह शनि को माना गया है। यदि लग्न में मकर अथवा कुम्भ राशियाँ उदित हो रही हों और चन्द्रमा पर शनि सहित तीन-चार अन्य पाप ग्रहों की भी दृष्टि हो तो पोलियो होने का योग बनता है। शनि, राहु, केतु तथा चन्द्रमा का कमजोर होना भी पोलियो रोग होने का खतरा रहता है। नीलम, लाजवर्त या इन्द्रनील स्फटिक का लॉकेट बनवाकर गले में पहनें। छोटी अंगुली में पुखराज की अंगूठी बनवाकर पहन सकते हैं। फोड़ा रक्त विकार द्वारा फोड़े फुन्सी की उत्पत्ति होती है। शरीर पर लाल रंग के दाने निकलने से उनमें मवाद बन जाती है। समय पर इलाज न होने पर यह फोड़े का रूप धारण कर लेता है। मधुमेह व यकृत के रोगियों को फोड़े फुन्सी बहुत निकलते हैं। शरीर पर होने वाली सामान्य खुजली भी कभीकभी फोड़े बन जाते हैं। शरीर में अधिक गर्मी होने के कारण भी फोड़े निकलते हैं। ज्योतिषीय विचार-लग्न या लग्नेश पर जब भी मंगल की दृष्टि होती है तो फोड़े फुन्सी होने की सम्भावना होती है। शरीर के तापमान के कारक ग्रह मंगल तथा सूर्य हैं । गोचर में अशुभ मंगल जब भी मेष, सिंह या धनु राशि में भ्रमण करता है तो यह बीमारी होती है। ६ रत्ती का मूनस्टोन तथा ४ रत्ती का लाजवर्त अँगूठी बनवाकर पहनें। उपदंश इसे सिफलिस के नाम से जाना जाता है। यह बहुत ही घातक यौन रोग है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध बनाने से यह रोग दूसरे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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