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________________ १०६ ★ रत्न उपरत्न और नग नगीना ज्ञान * राहु रत्न गोमेद (Hessonite) गोमेद रत्न कम-से-कम ४ रत्ती के वजन का होना लाभप्रद है। इसको चाँदी की अंगूठी में मढ़वाकर पहन सकते हैं। अंगूठी ४ रत्ती से कम न हो। इसका प्रभाव तीन वर्षों तक रहता है। तत्पश्चात दूसरा गोमेद धारण करना चाहिये। केतु रत्न लहसुनिया (Cat's Eye) कम-से-कम ४ रत्ती का लहसुनिया रत्न को कम-से-कम ७ रत्ती वजन की पंचधातु या लोहे की अंगूठी में मढ़वाकर पहनना चाहिये। किसी अन्य धातु की नहीं, अंगूठी का वजन ७ रत्ती से कम नही तथा लहसुनिया चार से कम वजन का नहीं होना चाहिये। पहनने के दिन से इसका प्रभाव तीन वर्षों तक रहता है। इसके बाद बेकार हो जाता है। दूसरा लहसुनिया धारण करना चाहिये। दोषी रत्नों से भी शुभ फल नवग्रहों के रत्नों में शुद्ध रत्नों को धारण करना ही शुभ बतलाया गया है तथा दूषित रत्न को ग्रहण करना अशुभ बतलाया गया है कारण कि दूषित रत्न धारण करने से मानव को अनिष्ट फल देते हैं। किन्तु शास्त्रों में कहा गया है कि विभिन्न ग्रहों की विभिन्न स्थितियों में उन ग्रहों के दोषी रत्न भी धारण करने से शुभप्रद हो जाते हैं। नवग्रहों के रत्नों के विवेचन के प्रसंग में यह विवेचन भी उचित होगा। अतएव उसे यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है। माणिक्य-यदि किसी की जन्मकुण्डली में सूर्य, चन्द्र राशि पर स्थित हों तो सफेद छीटायुक्त दोषी माणिक भी उसे लाभप्रद होगा। यदि सूर्य, राहु केतु और शनि से युक्त हो तो काले छींटे वाला माणिक्य धारण करना चाहिये। मोती-जन्म स्थान में चन्द्र के साथ राहु, केतु एवं शनि होने पर काले दाग वाला दोषी मोती भी लाभप्रद होगा। मूंगा-जन्म स्थान में मंगल के साथ शनि, राहु, केतु होने पर दोषी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001749
Book TitleRatna Upratna Nag Nagina Sampurna Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapil Mohan
PublisherRandhir Prakashan Haridwar
Publication Year2001
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Astrology, & Occult
File Size10 MB
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