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(ङ)
(च)
विषय
-
प्रथम अध्याय
जैन आगम एवं आगमिक व्याख्या साहित्य
(क)
आगम - अंगसूत्र एवं उपांगसूत्र
मूल - सूत्र, छेदसूत्र, प्रकीर्णक और व्याख्या साहित्य शौरसेनी आगम तथा व्याख्या साहित्य
अनुक्रमणिका
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आगम व्याख्या साहित्य में विशेषावश्यकभाष्य का स्थान, विषयवस्तु व कर्ता का परिचय
विशेषावश्यकभाष्य में गणधरवाद व निह्नववाद का महत्त्व
गणधरवाद एवं निह्नववाद की दार्शनिक समस्याओं का सामान्य परिचय
द्वितीय अध्याय
जैन आगम में आत्मा एवं उसके अस्तित्व की समस्या और समाधान आत्मा के अस्तित्व की समस्या
(क)
(ख)
भारतीय दर्शन में आत्मा के अस्तित्व को स्वीकारने और नकारने वाले मत
(ग)
विशेषावश्यकभाष्य में इन्द्रभूति गौतम की जीव के अस्तित्व विषयक शंकाएँ
(घ)
गणधरवाद में आत्म- अस्तित्व की सिद्धि
(ङ)
जैन आगमों में आत्मा के स्वतंत्र अस्तित्व को मानने वाले विभिन्न संदर्भ
तृतीय अध्याय
गणधरवाद में कर्म की सत्ता की समस्या और उसकी समीक्षा (क) कर्म की सत्ता को मानने का हेतु
(ख)
जगत् वैचित्र्य के विभिन्न कारण
(TT)
विशेषावश्यकभाष्य में कर्म के अस्तित्व के संबंध में समस्या तथा
(घ)
समाधान
जैन दर्शन में कर्म शब्द का अर्थ एवं स्वरुप
भारतीय दर्शन में कर्म
समीक्षा
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