SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 993
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१२ संज्ञा क्षमातल नगर स्वमलनिचय तदनुभूति कोविद बालिश श्रुति संग शोक सागर बहलिका कृपरणता Jain Education International परिग्रह की पत्नी क्षमातल नगर का राजा स्वमलनिचय की रानी राजा का पुत्र ( कोविद श्रीर कोविदाचार्य एक ही हैं ) राजा का पुत्र कर्मपरिणाम की कन्या दासी - पुत्र, श्रुति का अग्रगामी और संयोग मेलापक महामोह का अनुचर महामोह का अनुचर, परिग्रह का मित्र माया सागर की सहचारिणी For Private & Personal Use Only उपमिति भव-प्रपंच कथा ज्ञानसंवररण आठ कर्मों में से पहला कर्मराजा चारित्रधर्मराज सबोध चारित्रधर्मराज का मंत्री सम्यग्दर्शन चारित्रधर्म गृहिधर्म मकरध्वज, हास, रति, चित्तवृत्ति में घिरा हुआ राजा गंधर्व मिथुन किन्नर युगल अरति, शोक, भय, जुगुप्सा विद्या राज का सेनापति चारित्रधर्मराज का छोटा लड़का मोहराज का परिवार और उनके छोटे सेना पति चारित्रधर्मराज की मानसिक कन्या www.jainelibrary.org
SR No.001725
Book TitleUpmiti Bhav Prakasha Katha Part 1 and 2
Original Sutra AuthorSiddharshi Gani
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1985
Total Pages1222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy