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________________ ६. षष्ठ प्रस्ताव ११५-२०६ ११६-११८ पात्र-परिचय १. धनशेखर और सागर की मैत्री २. धन की खोज में ३. हरिकुमार की विनोद-गोष्ठी ४. हरिकुमार की काम-व्याकुलता : आयुर्वेद ५. निमित्तशास्त्र : हरिकुमार-मयूरमंजरी सम्बन्ध ६. मैथुन और यौवन के साथ मैत्री ७. समुद्र से राज्य-सिंहासन ८. धनशेखर की निष्फलता ६. उत्तमसूरि १०. सुख-दुःख का कारण : अन्तरंग राज्य ११. निकृष्ट राज्य १२. अधम राज्य : योगिनी दृष्टिदेवी १३. विमध्यम राज्य १४. मध्यम राज्य १५. उत्तम राज्य १६. वरिष्ठ राज्य १७. हरि राजा और धनशेखर उपसंहार ११६-१२३ १२४-१३१ १३२-१४४ १४४-१४६ १४६-१५५ १५५-१५६ १६०-१६६ १६६-१७० १७१-१७४ १७४-१७६ १८०-१८४ १८५-१८८ १८६-१६० १६०-१६२ १६२-१६६ १६६-२०३ २०३-२०८ २०६ ७. सप्तम प्रस्ताव २१०-३१० २११-२१३ २१४-२१६ २१६-२२२ पात्र-स्थानादि परिचय १. घनवाहन और अकलंक २. लोकोदर में आग ३. मदिरालय ४. अरहट यन्त्र ५. भव मठ ६. चार व्यापारियों की कथा ७. रत्नद्वीप कथा का गूढार्थ ३-२ २३१-२३२ २३३-२३८ २३८-२४६ २४६-२५७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001725
Book TitleUpmiti Bhav Prakasha Katha Part 1 and 2
Original Sutra AuthorSiddharshi Gani
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1985
Total Pages1222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size23 MB
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