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________________ ३१४ उपमिति-भव-प्रपंच का शुभ्रचित्तपुर सदाशय शुभ्रचित्तपुर का राजा (अन्तरंग) वरेण्यता राजा सदाशय की रानी ७. ब्रह्मरति सदाशय-वरेण्यता की पुत्री ८. मुक्तता सदाशय-वरेण्यता की धर्म । पुत्री दो अन्तरंग श्वेत पुरुष शुक्ल ) पीता । ६. विद्या सेनापति सम्यगदर्शन की पुत्री १०. निरीहता चारित्रधर्मराज-विरति पद्मा र की पूत्री जनतारण गुणधारण का पुत्र तीन सुन्दर परि शुक्ला चारिकाएँ (लेणी अवेयक देव ग्रेवेयक १:२:३:४:५ संसारी जीव देव के रूप में सिंहपुर (बहिरंग) गंगाधर संसारी जीव, महेन्द्र वीणा का पुत्र सुघोषाचार्य जैनाचार्य, गंगाधर के उपदेशक शंखनगर महागिरि (बहिरंग) भद्रा सिंह साता गौरव ) सहयोगी धर्मबंधु शंखनगर का राजा ऋद्धि गौरव । राजा महागिरि की शैलराज के रानी रस गौरव अन्तरंग संसारी जीव, महागिरि- साता गौरव ) भद्रा का पुत्र मुनि, सिंह के धर्म गुरु आर्त्ताशय । गौरवों के रौद्राभिसन्धि अनुयायी कृष्णा, नीला, परिचारिकाएँ, कापोता लेश्याएँ, प्रार्ता शय और रौद्राभिसन्धि की सेविकाएँ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001725
Book TitleUpmiti Bhav Prakasha Katha Part 1 and 2
Original Sutra AuthorSiddharshi Gani
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1985
Total Pages1222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size23 MB
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