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उपमिति-भव-प्रपंच कथा
में नीचे गिर जायगा। फिर बन्दर के बच्चे के शरीर में हुए घाव भरने लगेगें,
आनन्द प्राप्त होगा, शरीर श्वेत होगा, स्वास्थ्य में वृद्धि होगी और वह विशाल बनेगा। इसके बाद उसे छठी लेश्या द्वारा निर्मित सीढ़ियों पर चढ़ाना । यहाँ इसकी दुःख भोगने की स्थिति अत्यन्त कृश हो जायगी, उपद्रव नष्ट हो जायेंगे, आम्रफल खाने की इच्छा नहीं के समान हो जायेगी, धूल और कचरे में लोटने की इच्छा भी नष्टप्रायः हो जायगी और मकरन्द के स्नेह की स्निग्धता एकदम सूख जायेगी।* शरीर एकदम शुष्क हो जाने से धूल-कचरा सब गिर जायगा, शरीर स्वच्छ हो जायगा और निरन्तर आह्लाद तथा निर्मल स्फटिक जैसी शुद्धता प्राप्त हो जायगी।
पीछे की तीन परिचारिकाओं/लेश्याओं द्वारा निर्मित सीढ़ियों पर चढ़ते हुए उसे प्रतिपल धर्मध्यान रूपी मन्द-मन्द पवन लगेगा। यह पवन संताप को दूर करने वाला, सुखकारी, शीतल और सद्गुण रूप कमल वन के परागकरणों से सुगन्धित होगा। इस पवन के लगने से बच्चा सतत प्रमुदित होता जायेगा। चूहे, बिल्ली, बिच्छू, मच्छर आदि के उपद्रव वाले कमरे और पहले की तीन लेश्याओं द्वारा निर्मित अंधकारमयी सीढ़ियों को छोड़कर, बाद की तीन लेश्याओं द्वारा निर्मित भयरहित प्रकाश पूर्ण सीढ़ियों पर बन्दरों की एक टोली छिपकर रहती है। वे तेरे इस बन्दर के बच्चे के सम्बन्धी हैं। इस टोली का मुखिया/विशुद्ध धर्म नामक एक विशालकाय बन्दर है। यह विशुद्धधर्म बन्दर प्रशम, दम, संतोष, संयम, सद्बोध आदि परिवार से परिवृत है। धृति, श्रद्धा, सुखप्राप्ति, जिज्ञासा, विज्ञप्ति, स्मृति, बुद्धि, धारणा, मेधा, शान्ति, निःस्पृहता आदि वानरियाँ भी इस टोली में हैं। धैर्य, वीर्य, प्रौदार्य गाम्भीर्य, शौंडीर्य, ज्ञान, दर्शन, तप, सत्य, वैराग्य, अकिंचन्य, मार्दव, आर्जव, ब्रह्मचर्य, शौच आदि बन्दर बच्चे भी इस टोली में हैं। जब तुम्हारा बन्दर का बच्चा पीछे की तीन लेश्याओं द्वारा निर्मित सीढ़ियों पर चढ़ना प्रारम्भ करेगा तब किसी-किसी स्थान पर महावानर, वानरियां और बन्दर-बच्चों में से कोई-कोई प्रकट होगा, वे सब इस टोली में से ही होंगे। तेरे बन्दर के बच्चे का रूप भी इन सब के शरीररूप है, जीवनभूत है, सर्वस्व है और सच्चा हित करने वाला है। यह बन्दरों की टोली स्वरूप में स्थिर, सूर्य जैसी तेजस्वी/प्रकाशमान और अपने दर्शनीय वर्ण से जगत् को आह्लादित करने वाली है, गवाक्षों के बाहर लगे विषवृक्षों की तरफ जाने की अभिलाषा से रहित होती है तथा कर्म-परमाणु-रज रूपी फल, फल, धूल
और कचरे में लोटने की इच्छा से रहित होती है। यह बन्दरों की टोली भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न सीढ़ियों पर दिखाई देती है। तेरा बन्दर का बच्चा जब अपने इन विशिष्ट सम्बन्धी और हितकारी बन्दरों की टोली को प्रकाशमान, नूतन, उच्च मार्ग पर मिलेगा तब उसे बहुत आनन्द प्राप्त होगा और अत्यन्त हर्ष में आकर ऊपर-ऊपर की सीढ़ियों पर चढ़ता चला जायेगा तथा अन्त में छठी लेश्या द्वारा
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