________________
॥ प्रतिष्ठो
॥ कल्याणकलिका.
.
.
..
॥ ५३० ॥
शरावलां ५० जबारिया वांस ४ शराबलामां जवारा स्थपति (शिल्पीः) कलश १, धान्यवर्ग (जव-शालि-गहुं-तल-अडदमग - बाल - चणा - मसूर - तू वर - (वा)शणबीज-कांग-शामकादि), रत्नवर्ग-(हीरक-सूर्यकान्त-चन्द्रकान्तनील-महानील-मोती-पुखराज-पद्मराग(माणेक, बैडूर्य (अकीक) आदि) लोहवर्ग-(सोनु-रूपुं-त्रांबु-कांतलोहजसद-पीतल-कांसु-सीसु आदि) कषायवर्ग - (वड - उंबर-पीपल-चंपकअशोक -कदंप-आम्र -जांबु -बकुलअर्जुन- पाडल-वेतस-पलाशादि)
मृत्तिकावर्ग-(राफडानी पर्वतशिखरनी, नदिना बंने तटनी महानदीसंगमनी, डाभमूलनी, बिल्ववृक्षमूलनी, चैत्यनी, हाथीदांतनी, वृषभ शृंगनी, राजद्वारनी, पद्मसरोवरनी, एक वृक्ष-आदिनी ) पानीयवर्ग-(गंगा-यमुना-मही-नर्मदासरस्वती-तापी-गोदावरी-समुद्रपद्मसर-ताम्रवर्णी नदीसंगम आदिनां पाणी)।
औषधीवर्ग-(सहदेवी-जया-विजयाजयन्ती-अपराजिता-विष्णुक्राता-शंखपुष्पीबला-अतिबला-हेमपुष्पी-विशाला-नाकुलीगंधनाकुली-सहा-बाराही-शतावरी-मेदामहामेदा -काकोली-क्षीरकाकोली-कुमारीरीगणी न्हाना-रीगणी म्होटी-चक्रांकामयुरशिखा-लक्ष्मणा-दूर्वा-दर्भ-पतंजारी
गोरंभा-रुद्रजटा -लज्जालु-मे पशृंगीऋद्धि-वृद्धि आदि ) अष्टकवर्ग -(प्रियंगु-वीलक-आमलकजातिपत्रिका-हरिद्रा-ग्रंथिपर्णक-मुस्ताकुष्टादि) गन्धवर्ग-(सिल्हक -कुष्ठ क -मांसीमुरमांसी-श्रीखण्ड - अगुरु-कर्पुर-नखपूतिकेशादि) वास-(श्रीखंड-कुंकुम-कर्पूरमय), मुद्रिका कंकण-मदनफल रक्तसूत्र ऊर्णासूत्र लोहमुद्रिका ऋद्धि-वृद्धियुत कंकण १
॥ ५३० ॥
EP
www.jainelibrary.org
Jain Education International
For Private & Personal Use Only