SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 538
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॥ अष्टोत्तरी शतस्नात्र विधिः ।। (६) मंत्र-पट्टप्रतिष्ठा विधि ॥ ॥ कल्याण मंत्रपट्टो सुवर्णमय, रूप्यमय, ताम्रमय, स्फटिकमय, काष्ठमय, वस्त्रमय, आदि अनेक प्रकारना होय छे. वस्त्रमय पट्ट सिवायना बधां कलिका, पट्टोनो प्रथम जिनस्नात्र संमिलित-जल पंचामृत बडे पखाल करवो, पछी सुगंध जल वडे तेनो पखाल करवो, छेवटे शुद्ध जले पखाली खं० २ ॥ तेना उपर यक्षकर्दमर्नु विलेपन कर, पछी २५ वस्तुना बनेला वासक्षेपथी तेनी प्रतिष्ठा करवी. मंत्रपट्टनो प्रतिमा मंत्रपट्टमा खोदेल के लखेल मंत्र ज जाणवो, ते मंत्र ७ वार वांचवो अने ७ वार वासक्षेप नाखवो, एटले प्रतिष्ठा थइ. पट्ट वस्त्रमय होय अर्थात् वस्त्र उपर मंत्र यंत्र के मूर्ति लखेल होय तो तेनुं आदर्शमां प्रतिबिम्ब पाडी ते उपर पूर्वोक्त रीते प्रथम अभिषेक-प्रक्षालन करवू, पछी तेमां लखेल मंत्र बडे वासक्षेप करी प्रतिष्ठा करवी. मखमल आदि उपर जरी आदिथी भरेल मूर्तिओनी प्रतिष्ठा पण एज विधिथी करवी. पट्टमा कोइ देवनी मूर्ति खोदेली होय अथवा चित्रित होय तो पूर्वोक्त प्रकारे प्रथम तेनो अभिषेक करी- ॐ ह्रीं अमुकदेवाय नमः। ॐ ह्रीँ अमुकदेव्यै नमः । आ प्रकारे जे देव या देवीनी मूर्ति होय तेना नाममंत्रवडे वासक्षेप करी तेनी प्रतिष्ठा करवी. Latel सूरिमंत्र, वर्द्धमान विद्या, चिन्तामणि पार्श्वनाथ आदिना पट्टोनी पण उपरनी विधिथी ज प्रतिष्ठा कराय छे. (७) साधुमूर्ति-स्तूप प्रतिष्ठा विधि - आचार्य, उपाध्याय के साधुनी मूर्ति चैत्यमां के पौषध शालामा स्थापवी होय अथवा तेमना पादुकास्तूपनी प्रतिष्ठा करवी होय तो तेनी विधि नीचे प्रमाणे छे. - ___ मूर्ति अने चरण पादुकाने प्रथम पंचामृत वडे पखाली शुद्ध जले धोई, लुछीने तेने धूप उखेववो अने लग्ननो समय आवतां आचार्यनी ॥ ४६२ ।। Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy