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।। कल्याणकलिका. खं० २॥
दण्डप्रतिष्ठा ॥
।। ३८८ ॥
“ॐ ब्रह्मणे सायुधाय सवाहनाय सपरिकराय इह ध्वजारोपणविधौ आगच्छ आगच्छ स्वाहा ।" १०
आ मंत्रो पैकिनो १-१ मंत्र बोली पूर्वादि एक एक दिशामां जलचुलुक १, केसर चंदननो छांटो २, पुष्पक्षेप ३, अने सप्तधान बलि ४, निक्षेप करवो.
ए पछी अखंड वस्त्रधारी प्रतिष्ठागुरुए नीचेना मंत्रे पोताना आत्मानुं सकलीकरण करवू
ॐ नमो अरिहंताणं-हृदय उपर, ॐ नमो सिद्धाणं-मस्तक उपर, ॐ नमो आयरियाणं-शिखा उपर, ॐ नमो | | उवज्झायाणं-सर्वाङ्गावरण, ॐ नमो लोए सब्बसाहुणं-हस्ते आयुध.
सकलीकरण करी नीचे लखेल -
“ॐ नमो अरिहंताणं, ॐ नमो सिद्धाणं, ॐ नमो आयरियाणं, ॐ नमो उवज्झायाणं, ॐ नमो लोए सब्वसाहणं, ॐ नमो सब्बोसहिपत्ताणं, ॐ नमो विज्जाहराणं, ॐ नमो आगासगामीणं, ॐ कः क्षः नमः अशुचिः शुचिर्भवामि स्वाहा"।
आ शुचिविद्या ५ अथवा ७ वार जपी आत्मामां आरोपवी. पछी प्रतिष्ठाचार्ये उपर्युक्त सकलीकरण विद्या वडे स्नात्रकारोने पण अभिमंत्रित करी तेमनी अंग-रक्षा करवी.
ए पछी प्रतिष्ठाचार्ये मंगलार्थे संघ सहित नीचेनी विधिथी देववंदन करवू.
इर्यावही प्रतिक्रमण पूर्वक मूलनायकनुं चैत्यवंदन बोलवू, तेना अभावमां "ॐ नमः पार्श्वनाथाय " ए चैत्यवंदन कही नमुत्थुणं०, अरिहंत चेइआणं०, बंदणवत्ति०, अन्नत्थ०, १ नवकार०, नमोऽर्हत्, स्तुतिः -
अहंस्तनोतु स श्रेयः-श्रियं यद्धयानतो नरैः । अप्यैन्द्री सकलाऽत्रैहि, रंहसा सहसौच्यत ॥१।।
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