SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 422
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॥ कल्याणकलिका. खं० २॥ ॥ मध्यकालीन अंजनशलाका विधि ।। करवा. श्रावकोए (स्नात्रकारोए) ते पवित्र तथा विविध प्रकारना पुप्पो-पत्रो अने सोपारी आदिधी पूजवा, ते पछी ते घडाओ प्रतिष्ठाचार्यद्वारा रक्षा प्राप्त अविधवा एवी चार स्त्रीओने उपडावबा, पछी ते स्त्रीओनी साथे संघ समुदाय महोत्सव पूर्वक नदी-सरोवरादिके जवू, त्यां जलने कांठे उभा रही प्रतिष्ठागुरु क्षेत्रदेवता-जलदेवता अने शान्तिदेवताने अनुकूल करवा निमित्ते "क्षेत्रदेवता अनुकूला भवतु, जलदेवता अनुकूला भवतु, शान्तिदेवता अनुकूला भवतु,' आम बोलता चन्दन-वास-अक्षत-क्षेप करे अने त्रणेना कायोत्सर्ग करे, श्री क्षेत्रदेवतायै करेमि काउस्सग्ग अन्नत्थ उससिएण०, १ नव०, पारी, नमोऽर्हतं०, स्तुतिः - यस्याः क्षेत्रं समाश्रित्य, साधुभिः साध्यते क्रिया । सा क्षेत्रदेवता नित्यं भूयान्नः सुखदायिनी ॥॥ श्री शान्तिदेवतायै करेमि का०, अन्नत्थ०, १ नव० पारी, नमोऽर्हत् स्तुतिः - श्री चतुर्विधसंघस्य, शासनोन्नतिकारिणी । शिवशान्तिकरी भूयाच्छ्रीमती शान्तिदेवता ॥२॥ श्रीजलदेवतायै करेमि का०, अन्नत्थ०, १ नव० का०, पारी नमोऽर्हत् स्तुतिः - यदधिष्ठितजलविमलाः, सकलाः सफला जिनेश्वरप्रतिमाः । सा जलदेवी पुर-संघ-भूभुजा मंगलं देयात् ॥३॥ आ वखते श्रावको नालियेर आदि वडे अने अगर आदिना अंगभोग बडे पूजा करे, ते पछी नमस्कार मंत्र गणवापूर्वक जले करी घडाओ भरी धवमंगल गवातां वादिननादपूर्वक आवी जिनप्रसादने प्रदक्षिणा देइ निरुपद्रव स्थानके मूके. इति जलयात्रा विधि । वेदीस्थापना - चार मंडपना ४ खूणाओमा अविधवा श्राविकाए मंगलगीतपूर्वक आणेली ४ विषमांगवेदिओ (नवांगवेहि-वेह) स्थापबी, दरेक वेदीने उपर १-१ जवारानुं शराबलं मूकवू, वेदिओने गेवासूत्र अथवा राता रंगे रंगेल सूत्र वींटवू, उपर लाल रंगे रंगेल १२.१२ हाथनां बे अडधियां ओढाडवां, फरतो वांसडाओनो टेको देइ वेदिओने मजबूत करवी. (प्रतिमानी) चारे दिशाओमां (कंइक) For Private & Personal Use Only || ३४६ ।। www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy