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________________ ॥ कल्याण कलिका. खं०२॥ ॥ देवी प्रतिष्ठा ॥ ॥ २७८ ॥ ॐ चक्रेश्वर्यै नमः । ॐ महाम्बिकायै नमः ६३॥ ॐ ईश्वरायै नमः ६४।। फरीथी तेनी फरतुं वलय करीने बावन दल करीने तेमा अनुक्रमे जमणी बाजुथी आरंभीने आ प्रमाणे देवो स्थापवा___ॐ क्रों क्षेत्रपालाय नमः १॥ ॐ क्रों कपिलाय नमः २। ॐ क्रों बटुकाय नमः ३॥ ॐ नारसिंहाय नमः ४॥ ॐ क्रों | गोपालाय नमः ५। ॐ क्रों भेरवाय नमः । ॐ क्रों गरुडाय नमः । ॐ क्रों रक्तसुवर्णाय नमः ८॥ ॐ क्रों देवसेनाय नमः ९। ॐ क्रों रुद्राय नमः १०। ॐ क्रों वरुणाय नमः ११॥ ॐ क्रों भद्राय नमः १२॥ ॐ क्रों वज्राय नमः १३॥ ॐ क्रों वज्रजंघाय नमः १४॥ ॐ क्रों स्कन्दाय नमः १५। ॐ क्रों कुरुवे नमः १६। ॐ क्रों प्रियंकराय नमः १७) ॐ क्रों प्रियमित्राय नमः १८। ॐ वह्नये नमः १९॥ ॐ को कंदर्पाय नमः २०॥ ॐ क्रों हंसाय नमः २१॥ ॐ क्रों एकजंघाय नमः २२। ॐ क्रों घंटापथाय नमः २३॥ ॐ क्रों दजकाय नमः २४॥ ॐ क्रों कालाय नमः २५। ॐ क्रों महाकालाय नमः २६। ॐ क्रों मेघनादाय नमः २७। ॐ क्रों भीमाय नमः २८ ॐ क्रों महाभीमाय नमः २९। ॐ क्रौँ तुंगभद्राय नमः ३० । ॐ क्रों विद्याधराय नमः ३१॥ ॐ क्रों वसुमित्राय नमः ३२॥ ॐ क्रो विश्वसेनाय नमः ३३॥ ॐ क्रों नागाय नमः ३४। ॐ क्रों नागहस्ताय नमः ३५। ॐ क्रों प्रद्युम्नाय नमः ३६। ॐ क्रों कंपिल्लाय नमः ३७। ॐ क्रों नकुलाय नमः ३८। ॐ क्रो आह्लादाय नमः ३९। ॐ क्रों त्रिमुखाय नमः ४०। ॐ क्रों पिशाचाय नमः ४१॥ ॐ क्रों भूतभैरवाय नमः ४२। ॐ क्रों महापिशाचाय नमः ४३। ॐ क्रों कालमुखाय नमः ४४। ॐ क्रों शुनकाय नमः ४५। ॐ क्रों अस्थिमुखाय नमः ४६। ॐ क्रों रेतोवेधाय नमः ४७॥ ॐ क्रों स्मशानचाराय नमः ४८॥ ॐ क्रों केलिकलाय नमः ४९। ॐ क्रों गाय ॥ २७८ ॥ Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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