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________________ थान । तीर्थ ।। कल्याणकलिका. Go गच्छ गच्छ स्वाहा ।" ___आ मंत्र बोली अंजलि मुद्राए नन्द्यावर्तन अन्य सर्व स्थापनाओनुं विसर्जन कर, एज रीते "ॐ विसर विसर प्रतिष्ठा देवते स्वाहा" । कही ग्रह दिक्पाल आदिना पाटलाओने वासक्षेप करी - "देवा देवार्चनार्थं ये, पुराऽऽहूताश्चतुर्विधाः । ते विधायाऽर्हतां पूजा, यान्तु सर्वे यथागतम् ॥१॥" आ श्लोकथी सर्व देवोनुं विसर्जननीमुद्राए विसर्जन करवू, उपर बृहच्छांतिनो पाठ कहेवो, अने संघ भक्ति करवी.१ यात्रा खं०२॥ शान्ति कम् ॥ ।। २४९ ।। C GB श्री GES C था जा बीमा ९-तीर्थयात्रा शान्तिकम् तीर्थयात्रा प्रयाणाद्य-दिवसे यो विधीयते । जिनस्नात्रविधिस्तीर्थ-यात्रा शान्तिकमुच्यते ॥१७७।। तीर्थयात्राए निकलवाना दिवसे जे प्रयाण पूर्वे जिनस्नात्र विधि करवामां आवे छे ते "तीर्थयात्राशान्तिक" कहेवाय छे. संघ तीर्थयात्रा निमित्ते प्रयाण करे ते दिवसे प्रथम शुद्ध जल मंगावी, देहरासरमां भूमि शुद्ध करी, सिंहासन उपर श्रीशान्तिजिननी पंचतीर्थी अथवा चोवीसी स्थापी आगे श्रीसिद्धचक्रनी स्थापना करवी, अने पछी कुमारिका अने ४ स्नात्रकारोए मली कुसुमांजलि चढाववा पूर्वक शान्तिकलश भणवा पूर्वक स्नात्र पूजा भणाववी. ते पछी स्नात्रकारोए हाथमां कुंकुम, चंदन, पुष्प लेइने पूर्व सन्मुख उभा रहीने - १. कंकण मोचनी क्रिया ज प्रतिष्ठाना दिवसे ज करवानी होय तो विसर्जन विधि कंकण मोचन पछी कराववी, पण कंकण मोचन त्रीजे पांचमे के सातमे दिवसे करवानुं होय तो विसर्जन तेज दिवसे अथवा बीजे दिवसे अगाउ करी देवू. G २४९ ॥ GH Twww.jainelibrary.org Jain Education Intentional For Private &Personal use only
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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