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________________ . ॥ कल्याणकलिका. | stha ॥ नवमाहिके दीक्षाकल्याणकअधिवासना विधि ॥ ।। १९० ॥ आ श्लोक बोली पूर्वे तैयार करावी राखेल बाट, खीर, करंबो, सेव, कूर, लापसी, पुडला, वडां, भजीयां, आ ९ वानीनां पात्रो थालमां भरी आगल मूकवां. ____ पछी गेवासूत्र तथा केसरथी रंगेल पीला सूत्रना तांतणाओथी वेष्टित एवी चॉरी बांधवी, तोरण सहित मंडप करवो, तेनी नीचे सिंहासन स्थापी तेमा प्रतिमा बेसाडवी, प्रतिमानी पासे सोनानो कलश स्थापबो अने पासे घी-गोलथी भरेल ४ मंगलदीवा स्थापवा. ए पछी बाट, खीर, कंसार, घेवर, करंबो, कूर (भात), घी, मेवा, पुडी, सुखडी, एटलां वाना थालमां भरी सधवा स्त्री लावीने त्यां मूके, ओवारणां करे, धाणा अने जल मूके, ४ गाडुआ (न्हाना घडा) त्यां थापे, तेओना गलामां गेवासूत्र अने सुहाली (सांकलीमीठी सूकी पुडि)नां कांकण बांधवा अने उपर जवारानां ४ सरावलां मूकवां. पछी गुरुए शक्रस्तवे चैत्यवंदन करवू, चंदनवास धूप फूल सहित कुसुंभी वस्त्र मस्तक-मुख उपर ढांक, बिंबनी सूरिमंत्रे अभिमंत्रित वासे गुरुए अधिवासना करवी अर्थात् आचार्य सूरिमंत्र अने अन्य प्रतिष्ठापके अधिवासना मंत्र भणीने बिंबना मस्तके वासक्षेप करवो. “ॐ नमः शान्तये हुँ यूँ हूँ सः" अथवा "ॐ नमो खीरासवलद्धीणं० इत्यादि" आ बे पैकीना एक मंत्र वडे अधिवासना करवी, पछी लग्न समये ऋद्धिवृद्धि, सोपारी, केसर, चंदन हाथमा लेईने - संसारे भोगयोग्या श्री-गुहिधर्मश्च कारणम् । भोगफलसाधनार्थं, तस्माच्च करपीडनम् ॥११॥ ॐ ह्रां ह्रीं ऐं क्लीं ह्सौँ अव्यक्ताव्यक्तसंपन्नाय संसारभोगकारणाय मङ्गलार्थं पाणिपीडनमिति स्वाहा । आ श्लोक तथा मंत्र भणीने सोपारी आदि बिंबना हाथमा मूकबां, वाजिंत्रो बगाडववां, धवल मंगल गवरावां, पोडशांश होम | - करबो, टीको करचो (बिंबना भाले कुंकुमर्नु तिलक कर.) बिंबने वस्त्राभरणादिक पहेराबवां, ५ जातिना २५ लाडवा ढोवा, मेवो बहेंचवा. ।। १९० ॥ For Private & Personal Use Only Jan Education International www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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