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________________ ॥ कल्याणकलिका. खं० २॥ ॥ नव्य प्रतिष्ठा पद्धतिः ॥ ॥ ८१ ॥ ५। गहुं शेर ५। मुंग शेर ४॥ मलमल मोटो पनो हाथ १० । जगन्नाथी हाथ १० हाथनो पनो । धोतियां ८ । उत्तरासण ८ । नंद्यावर्त योग्य पाटलो १ सेवननो। दिग्पालयोग्य पाटलो । नवग्रहयोग्य पाटलो १॥ अष्टमंगलयोग्य पाटलो ११ अखंड चोखा शेर १॥ 'अर्थो मण भात' । 'फोतरावाला चोखा सेर ४॥ तल सेर २। धोलीया पीला सरसव सेर ०॥) । चोखानी फूली सेर १। नैवेद्य 'घारी, लाडू, ठोर, घेवर, मोहनथालआदि' । नैवेद्य सराव ७ 'वाट, खीर, करंबो, खीचडी, कूर, सीधवडी (पींडली)' । सनालिकेर पांच सेरनो लाडु । पञ्चव्य-घी-दूध-दहि-गायनु गोबर-मूत्र-डाभ-पाणी । माला ५ जातनी ग्रहयोग्य-प्रवालनी, स्फटिकनी, केरवानी । अकलबेरनी, गोमेद, अथवा सिंदूरियास्फटिकनी'। १२ व्यवस्थापक मण्डल प्रतिष्ठाना कार्यों व्यवस्थितरूपे थया करे एटला माटे संघना बुद्धिशाली अने परिश्रमी पुरुषोनुं सत्ताप्राप्त व्यवस्थापक मंडल स्थापवू के जेना निरीक्षण नीचे सर्व कार्यो भिन्न भिन्न समितियो द्वारा थया करे. ___आ मण्डल, जुदा जुदा कामो माटे योग्य माणसोनी पसंदगी करीने तेमनी समितिओ योजी, कार्यो तेमने सुप्रत करी पोतानो - भार ओछो करे. कया काम माटे केटला माणसोनी समिति होवी जोइये एनी अमे एक आनुमानिक तालिका नीचे आपीये छीये, देश-काल अने कार्यनो विचार करीने मंडल आ संख्यामां वधारो घटाडो करी शके छे. १ भोजन प्रबन्ध ८ २ जलप्रबन्ध २ ३ नगर सफाई २ ४ छाया प्रबन्ध २ ५ वरघोडा व्यवस्था ४ ६ पूजा स्नात्रकार प्रबन्ध ४ ॥ ८१ ।। Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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