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________________ जोइने निर्दोष मुहूर्त आपनार सारा अभ्यासी ज्योतिषशास्त्रना विद्वान्नी पासे प्रतिष्ठामुहूर्तनो निर्णय करावबो. घणां अल्पज्ञोने पूछवा | करतां एक विशेषज्ञने पूछवाथी ए विषयनो जल्दी निर्धान्त निर्णय थइ शके छे. ए वस्तुने ध्यानमा राखीने ए विषयमा प्रवृत्ति करवी ॥ नव्य ॥ कल्याणकलिका. खं०२॥ जोइये. प्रतिष्ठा पद्धतिः ॥ AMA (२) राजपृच्छा ___ मुहूर्त श्रेष्ठ मली जाय अने प्रतिष्ठा कराववानुं निश्चित होय तो ते राजस्थान होय तो प्रतिष्ठाना विषयमा राजानी संमति लेबी, तथा योग्य सहायतानी मांगणी करवी, प्रतिष्ठानुं स्थान राजधानी न होइ गाम के नगर होय तो त्यांनो अधिकार जे अधिकारीना हाथमां होय तेने मलीने तेनी सहानुभूति प्राप्त करवी, अने प्रतिष्ठा कोइ गामधणीना गाममा होय तो ते धणीने पूछीने काममां तेनी सहायता प्राप्त करीने कार्यारंभ करवो. (३) भूमिशोधन मंडपने माटे भूमि एवी पसंद करवी जोइये के जे स्वाभाविक रीते ज शुद्ध होय, ज्या हाडकां बगेरे शल्य न होय अने गंदकीनुं स्थान अथवा सडेल गलेल खातरवाली के मांसाहारियोना निवासवाली न होय, वली मंडप उपरान्त खुल्ली भूमि केटली रहेशे ए पण प्रथमधी ज जोइने मंडपनी भूमि पसंद करवी, केमके प्रतिष्ठामंडप, स्नानमंडप अने सभामंडप ए बधाने माटे पर्याप्त होय ते भूमिज मंडपने माटे योग्य गणी शकाय. बनी शके त्यां सुधी प्रतिष्ठामंडपनी भूमि देहरानी सामे राखवी. कदापि सामे पर्याप्त भूमि न होय तो जमणे पडखे राखवी पण देहरानी पूठमां तो मंडपभूमि न ज होगी जोइये अने एवा स्थानमा मंडप न ज बनाववो जोईये. भूमि उपरथी कचरो अने मृतक धूल दूर कराव्या पछी ज ते उपर मण्डपर्नु निर्माण- कार्य चालु कराव_. मण्डपना जे भूमि भागे For Private & Personal Use Only ॥ ६९ ।। Jan Education international www.jainelibrary.org
SR No.001723
Book TitleKalyan Kalika Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherK V Shastra Sangrah Samiti Jalor
Publication Year1986
Total Pages660
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Shilpvastu, & Muhurt
File Size11 MB
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