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| जिन
।। कल्याण-I कलिका. खं०२॥
बिम्ब
॥ जिन बिम्बप्रवेश विधि ॥ (२)
(१६ मी शताब्दीमां प्रचलित) शुक्र, वत्स, योगिनी, काल, पाश प्रमुख टाली चन्द्रादिबल जोई शुभ मुहूर्ते बिम्ब स्थापना करवी. मुहूर्त पहेलां दिन ३ पबासण उपर कंकुनो साथिओ करवो, चन्दन केसरना छांटा नाखवा, अने उपर चोरवानो साथिओ करी
| ५ सोपारी १ नालियेर मुकवू, अने सात स्मरण गणवां, बीजे बीजे दिवसे साथियो सोपारी बदलवां, पण नालियेर ते ज राख.
मुहूर्त पहेला ३ दिवस चन्दन-केसर-कपूर प्रमुख कचोले पाणीमा नांखी सोनवाणी करी नवकार तथा उवसग्गहर वडे ७-७ वार
प्रवेश विधिः ॥
भ
मंत्रीने -
श्री जीराउला पार्श्वनाथ ! रक्षां कुरु कुरु स्वाहा । ए मंत्र बोलतां गभारामां तथा बहार सर्वत्र छांटा नाखवा, अने त्रिकाल धूप उखेववो.
आ बधी क्रिया स्नान पूर्वक शुद्ध वस्त्र पहेरीने करवी, शुद्ध धोतिआं पहेरी जे स्थानके स्थाप्य बिंब होय ते स्थानके संघ साथे ज, साथे १ थालीमा अखियाणुं नालियेर लेबु. अने २ बीजी केसर-चन्दननो साथिओ करेली थाली बिंब पधराववा सारूं लेवी, बे पूर्ण कलशो साथे लेवा, ते पैकीना एक कलशमां चोखा, सोपारी, अने बोकडतो रुपियो मुकवो, अने बीजामा लोहनी रक्षा-खीलो प्रमुख मूकवां, कलशोना गलामां गेवासूत्र बांधवू, अने पुष्पमाला पहेराववी, कलशो उपर एक एक नालियेर मूक, आ प्रमाणे तैयारी करी मंगलगीत अने वाजिंत्रोना शब्दपूर्वक बिंब लेवा जर्बु, आगल केसर चन्दननो साथियो करवो, उपर चोखानो साथियो करी नालियेर सोपारी मूकवी, अने ते पछी त्यां संघ सहित देववन्दन कर. जेना घरे बिम्ब होय तेने श्रीफल आपी भगवानने लइ जवानी आज्ञा मागवी, कि
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