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[ ज्ञानसार
हालांकि ऊपर के बादर पुद्गल परावर्त कहीं भी सिद्धांत में उपयोगी नहीं है परन्तु बादर समझाने से सूक्ष्म का ज्ञान सरलता से हो सकता है, इसलिए बादर का वर्णन किया गया है । ग्रन्थों में जहाँ जहाँ 'पुद्गल परावर्त' आता है, वहाँ अधिकतर 'सूक्ष्म - क्षेत्र - पुद्गल परावर्त' समझना चाहिए ।
२२. कारणवाद
कारण के बिना कार्य नहीं होता है । जितने कार्य दिखते हैं उनके कारण होते ही हैं । ज्ञानियों ने विश्व में ऐसे पांच कारण खोजे हैं, जो संसार के किसी भी कार्य के पीछे होते ही हैं ।
(१) काल
( २ ) स्वभाव (३) भवितव्यता
(४) कर्म
(५) पुरुषार्थं
कोई भी कार्य इन पांच कारणों के बिना नहीं होता है | अब अपन एक एक कारण को देखते हैं ।
काल :
विश्व में ऐसे भी कई कार्य दिखते हैं जिसमें काल (समय) ही कार्य करता हुआ दिखता है । परन्तु वहाँ काल को मुख्य कारण समझना चाहिए और शेष ४ कारणों को गौण समझना चाहिए ।
(१) स्त्री गर्भवती होती है वह निश्चित समय में ही बच्चे को जन्म देती है । (२) दूध से अमुक समय में ही दही जमता है । ( ३ ) तीर्थंकर भी अपना आयुष्य बढ़ा नहीं सकते हैं और निश्चित समय में उनका भी निर्वाण होता है ( ४ ) छ: ऋतु अपने अपने समय से आती हैं और बदलती हैं । इन सब में काल प्रमुख कारण है ।
स्वभाव :
स्त्री के मूछ क्यों नहीं आती है ? यह स्वभाव है । हथेली में बाल क्यों नहीं उगते ? नीम के वृक्ष पर आम क्यों नहीं आते ? मोर के पंख ऐसे रंगबिरंगे और कलायुक्त क्यों होते हैं ? बेर के काँटे ऐसे
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