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* श्रीमद् बुद्धिसागरसूरिजी साहित्य प्रकाशन
ग्रन्थमाळा पुष्प तेरमुं
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श्रद्वैव परमं बह्म, श्रद्धेव परमं बलम् । *श्रद्धेवज्योतिषां ज्योतिः, श्रद्धातः सर्वसंपदः॥ * यत्र धर्मो भवेत्सत्यो, जयस्तत्रास्ति निश्चलः। यत्राधर्मो भवेत्तत्र, दुःखराशिपरम्परा ॥
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