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________________ उन पर हिन्दू परम्परा का कितना प्रभाव है, इसका विस्तृत तुलनात्मक विवेचन भी प्रस्तुत किया गया हैं। इस द्वितीय खंड में मुख्यतः जैन मुनिजीवन के विधि-विधानों का उल्लेख हैं। इस विभाग के अन्तर्गत ब्रह्मचर्यव्रतग्रहणविधि, क्षुल्लकप्रव्रज्याविधि, मुनि प्रव्रज्याविधि, उपस्थापनाविधि (बड़ी दीक्षा की विधि), योगोद्वहन विधि, वाचनाग्रहण. विधि, वाचनानुज्ञा विधि, उपाध्याय पदस्थापना , विधि, आचार्य पदस्थापना विधि, मुनियों की बारह प्रतिमाओं की आराधना विधि, साध्वी दीक्षा विधि, प्रवर्तिनी पदस्थापना विधि, महत्तरा पदस्थापना विधि, मुनि की सामान्य दिनचर्या विधि, ऋतुचर्या विधि एवं संलेखना विधि - इन षोडश विधियों का विवेचन किया गया हैं। इस विवेचन से एक तो यह बात स्पष्ट होती हैं कि वर्धमानसूरि ने आचारदिनकर में मुनि जीवन में प्रवेश के पूर्व ब्रह्मचर्य व्रतग्रहण विधि को और क्षुल्लक दीक्षा विधि को भी स्थान दिया है, जिनका श्वेताम्बर परम्परा में वर्तमान में प्रायः अभाव देखा जाता है, किन्तु ये दोनों विधियाँ दिगम्बर परम्परा में आज भी प्रचलित है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि वे एक ओर मुनि जीवन में प्रवेश करने के पूर्व एक प्रशिक्षु के रूप में प्रथम ब्रह्मचर्य की साधना को और फिर क्षुल्लक के रूप में मुनिवत् जीवन जीने के अभ्यास को आवश्यक मानते थे। मुनिजीवन में भी ब्रह्मचर्य की साधना सबसे कठिन मानी गई है, आगमों में उसे दुष्कर कहा गया हैं। अतः वर्धमानसूरि की यह मान्यता रही होगी कि व्यक्ति मुनि जीवन में प्रवेश करने के पूर्व कम से कम तीन वर्ष तक ब्रह्मचर्य का पूर्णतः पालन करे। पंचमहाव्रतों में ब्रह्मचर्य महाव्रत को अतिदुष्कर माना गया है। अतः इस अवस्था में गृह त्याग कर साधक गृहस्थ जीवन के सामान्य व्रतों का पालन करते हुए मुनि जीवन के सबसे महत्त्वपूर्ण महाव्रत ब्रह्मचर्य का भी सम्यक् रूप से पालन करे। इसके पश्चात् क्षुल्लक दीक्षा का क्रम आता है। यहाँ यह ज्ञातव्य है कि जो साधक कम से कम तीन वर्ष तक सम्पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन कर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001694
Book TitleJain Muni Jivan ke Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Religion, & Vidhi
File Size15 MB
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