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________________ 160 आचारदिनकर (भाग-२) जैनमुनि जीवन के विधि-विधान कुछ लोग निषद्या वस्त्र के ऊपर पादप्रोच्छनक भी बांधते हैं। उसे गच्छ में प्रचलित परिमाणानुसार ही बनाना चाहिए। कुछ लोग निषद्या के नीचे ही दसियाँ सीकर बांधते हैं, तो कुछ लोग दसियों के ऊपर और नीचे डोरी से कसकर बांधते हैं - वहाँ भी गच्छाचार के अनुसार ही क्रिया करना चाहिए। नीचे का डोरी दशा के मूल भाग से एक अंगुल ऊपर निषद्या पर बांधना चाहिए। फिर डण्डी सहित निषद्या का दो भाग नीचे की तरफ छोड़कर शेष ऊपर के तीसरे भाग के मध्य में द्वितीय डोरी बाँधना चाहिए। मुखवस्त्रिका चारों तरफ से एक बेंत चार अंगुल परिमाण की होनी चाहिए। उस वस्त्र की रचना इस प्रकार की जाती है - उस वस्त्र के दो समान भाग करके मोड़ते हैं। फिर उसको दोहरा कर, पुनः उसे तिर्यक् दिशा में मोड़ते हैं, अर्थात् खड़ी तह करते हैं। पुखवस्त्रिका के तह वाले भाग को वामपार्श्व में तथा नीचे की तरफ रखे तथा खुले हुए भाग को दाएँ हाथ की तरफ तथा ऊपर की तरफ रखते हैं। मुखवस्त्रिका के सम्बन्ध में यहाँ द्वितीय आदेश भी है - मुख परिमाण एवं पृथुल कपोल आदि के कारण भी मुखवस्त्रिका का परिमाण अधिक हो सकता है, इसमें कोई दोष नहीं है। मात्रक का परिमाण मगध देश के प्रस्थ परिमाण वस्तु से कुछ अधिक वस्तु जिसमें समा सके - इतना होना चाहिए। पूर्ण प्रस्थ परिमाण मात्रक द्वारा शेष काल में द्रव्य ग्रहण करते हैं और उससे अधिक परिमाण वाले मात्रक में वर्षाकाल में द्रव्यग्रहण करते हैं। दो कोस चलकर आया हुआ साधु एक स्थान पर बैठकर जितने दाल-भात उपयोग कर सकता है, उतने परिमाण वाला मात्रक होता है। चोलपट्टा स्थविरों की कमर से दुगुना होना चाहिए और स्थूल उदर वाले मुनियों के कमर से चार गुना परिमाण का होना चाहिए। सूक्ष्म एवं स्थूल, अर्थात् पतले या स्थूल शरीर की अपेक्षा से यह दो विकल्प हैं। चोलपट्टा नाभि के चार अंगुल नीचे और जानु के चार अंगुल ऊपर पहनना चाहिए। संस्तारक और उत्तरपट्टा दोनों ही ढाई हाथ लम्बे और एक हाथ चार अंगुल चौड़े होने चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001694
Book TitleJain Muni Jivan ke Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorVardhmansuri
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2006
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, Religion, & Vidhi
File Size15 MB
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