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!! आत्मीय स्फुरणा !!
__ मुझे उस समय अत्यन्त हर्ष की अनुभूति हुई जब विदुषी साध्वी हर्षयशा श्रीजी म.सा. ने लिखा कि साध्वी मोक्षरत्ना श्रीजी ने आचारदिनकर का अनुवाद कर लिया हैं। यह महत् कार्य अभी तक कोई भी नहीं कर पाया था, उसे साध्वी मोक्षरत्ना श्रीजी ने पूर्ण कर दिया है।
साध्वी जी का यह कार्य जनोपयोगी है। यह पुस्तक व्यक्ति, परिवार, समाज, देश, राष्ट्र और विश्व के लिए उपयोगी बने तथा इस पुस्तक में संगृहीत विचार चिरकाल तक जनमानस को प्रेरणा प्रदान करते रहे - यही शुभ भावना हैं। मेरी शुभकामना हैं कि मोक्षरत्ना श्रीजी भविष्य में भी साहित्य सेवा करती हुई निरंतर ऊँचाईयों के शिखर की ओर अग्रसर होती रहे और जिनशासन एवं गुरु का नाम उज्जवल करे।
प.पू.प्र. महोदया स्व. श्री विचक्षण श्रीजी म.सा. की सुशिष्या हर्षयशा श्रीजी की अन्तेवासिनी मोक्षरत्ना श्रीजी की जिज्ञासा, लगन एवं निष्ठा को देखते हुए मैं हार्दिक आशीर्वाद प्रदान करती हूँ कि विचक्षण वाटिका की यह कली अहर्निश जिनशासन में अभिवृद्धि करे एवं समाज उपयोगी पुस्तकों का सर्जन करती रहें। यही हार्दिक शुभभावना
श्री विचक्षणपाद पद्मरेणु - चंद्रकला श्री
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