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________________ आचारदिनकर (खण्ड तप ए. ए. तिथि १५ नेमिनाथ भगवान का ज्ञान - कल्याणक आश्विन सुदी ( शुक्ल पक्ष ) १५ नमिनाथ भगवान का च्यवन-कल्याणक 286 १२. ज्ञान, दर्शन एवं चारित्र - तप विधि अब ज्ञान, दर्शन एवं चारित्र - तप में सर्वप्रथम ज्ञान - तप की विधि बताते हैं, वह इस प्रकार है " एकान्तरोपवासैश्च त्रिभिर्वापि निरन्तरैः । - Jain Education International प्रायश्चित्त, आवश्यक एवं तपविधि प्रकारान्तर से तप उप. ३ - कार्यं ज्ञान तपश्चोद्यापने ज्ञानस्य पूजनम् । ।" ज्ञान की आराधना के लिए जो तप किया जाता है, उसे ज्ञान - तप कहते हैं । इस तप में निरन्तर अथवा एकान्तर से तीन उपवास करे। इस तप के उद्यापन में साधुओं को वस्त्र, अन्न एवं पात्र का दान करे यह आगाढ़-तप साधुओं एवं श्रावक दोनों के करने योग्य है । - उप. १ दर्शन - तप की विधि इस तप की विधि ज्ञान - तप की भाँति ही है । इस तप के उद्यापन में बृहत्स्ना विधि से परमात्मा का स्नात्र करे। जिन - प्रतिमा के आगे छहों विगयों के पकवान आदि रखे। मुनिराजों को वस्त्र, अन्न, एवं पात्र का दान दे। समकित की छः भावनाओं का श्रवण करे। यह तप करने से निर्मल बोधि का लाभ होता है। यह साधुओं एवं श्रावक - दोनों को करने योग्य आगाढ़ - तप है । चारित्र - तप की विधि - चारित्र - तप की विधि भी ज्ञान - तप की भाँति ही है। इस तप के उद्यापन में यतियों को (साधुओं को) षड्विकृतियों से युक्त पदार्थ, वस्त्र, पात्र आदि का दान दे। इस तप को करने से निर्मल चारित्र की प्राप्ति होती है । यह तप साधु एवं श्रावकों के करने योग्य आगाढ़-तप है । इन तीनों तप के यंत्र का न्यास इस प्रकार है ज्ञान-दर्शन- चारित्र-तप, कुल दिन ३-३-३ ज्ञान उपवास उपवास उपवास अथवा उपवास पारणा उपवास पारणा उपवास पारणा दर्शन उपवास उपवास उपवास अथवा उपवास पारणा उपवास पारणा उपवास पारणा चारित्र उपवास उपवास उपवास अथवा उपवास पारणा उपवास पारणा उपवास पारणा For Private & Personal Use Only - - www.jainelibrary.org
SR No.001678
Book TitlePrayaschitt Avashyak Tap evam Padaropan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMokshratnashreejiji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Principle, Ritual, Vidhi, M000, & M010
File Size7 MB
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