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________________ आचारदिनकर (खण्ड-४) 182 प्रायश्चित्त, आवश्यक एवं तपविधि विनिश्चय २०. आत्मविशुद्धि २१. मरणविशुद्धि-ध्यान-विभक्ति' २२. मरणविभक्ति २३. संलेखनाश्रुत २४. वीतरागश्रुत २५. विहारकल्प २६. चरणविधि २७. आतुरप्रत्याख्यान और २८. महाप्रत्याख्यान इत्यादि। द्वादशांग एवं कालिकसूत्रों के अतिरिक्त अन्य उत्कालिकसूत्रों के योगों में कालग्रहण, संघट्ट आदि क्रियाएँ नहीं हाती हैं। “सव्वेसि पि ........... ........ दुक्कडं" इन सभी अंगबाह्य उत्कालिकसूत्रों के अतिरिक्त शेष सम्पूर्ण मूलपाठ का अर्थ पहले लिखे गए षडावश्यक के आलापक के समान ही है। "नमो तेसिं खमासमणाणं जेहिं इमं वाइअं अंगबाहिरं कालिअं भगवंतं तं जहा- उत्तरज्झयणाइं, दसाओ, कप्पो, ववहारो, इसिभासिआई, निसीहं, महानिसीहं जंबूद्दीवपन्नत्ती सूरपन्नत्ती चंदपन्नत्ती दीवसागरपन्नत्ती खुड्डियाविमाणपविभत्ती महल्लियाविमाणपविभत्ती अंगचूलिआए वग्गचूलिआए विवाहचूलिआए अरूणोववाए वरूणोववाए गरूलोववाए धरणोववाए वेसमणोववाए वेलंधरोववाए देविंदोववाए उठाणसुए समुट्ठाणसुए नागपरिण्णावलिआणं निरयावलिआणं कप्पिआणं कप्पवडिंसियाणं पुप्फिआणं पुष्फचूलिआणं वण्हिआणं वण्हिदसाणं आसीविसभावणाणं दिट्ठीविसभावणाणं चारणभावणाणं महासुमिण भावणाणं तेअग्गिनिसग्गाणं।" भावार्थ - क्षमादि गुणों से युक्त उन श्रमणों को नमस्कार हो, जिन्होंने अतिशय गुणवाले अंगबाह्य कालिकसूत्र हमको दिए। वे इस प्रकार हैं - १. उत्तराध्ययन २. दशाश्रुतस्कन्ध ३. बृहत्कल्प ४. व्यवहारकल्प ५. ऋषिभाषित ६. निशीथ ७. महानिशीथ ८. जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति ६. चन्द्रप्रज्ञप्ति १०. सूर्यप्रज्ञप्ति ११. द्वीप सागरप्रज्ञप्ति १२. क्षुल्लकविमान-प्रज्ञप्ति १३. महतीविमानप्रज्ञप्ति १४. अंगचूलिका १५. वर्गचूलिका १६. विवाहचूलिका १७. अरूणोपपात १८. गरुड़ोपपात अंगलियार धरणावर नागपरिणफलिआ चालआए वग्गीवाए वेसमणोवल आणं निरयावा ' पाठान्तर में मात्र "झाण विभत्ती" पाठ ही मिलता हैं। २ नंदीसूत्र में सूर्यप्रज्ञप्ति का समावेश उत्कालिक सूत्रों में किया गया हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001678
Book TitlePrayaschitt Avashyak Tap evam Padaropan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMokshratnashreejiji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2007
Total Pages468
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Principle, Ritual, Vidhi, M000, & M010
File Size7 MB
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