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________________ ५१० जैन, बौद्ध और गीता के आधार दर्शन का तुलनात्मक अध्ययन आत्मसिद्धिशास्त्र श्रीमद् राजचन्द्र, निर्णय सागर प्रेस में मुद्रित सं० १९६४ आत्मानुशासन गुणभद्राचार्य, अजिताश्रम, लखनऊ (१९२८ ई०) अध्यात्मतत्वालोक मुनि न्यायविजयजी, श्री हेमचन्द्राचार्य जैन सभा (पाटण), १९४३ ई० आत्मसाधना-संग्रह मोतीलाल माण्डोत सैलाना (म० प्र०) सं० २०१९ आउटलाइन्स आफ इण्डियन फिलासफी एच० हिरियन्ना जार्ज एलन एण्ड अनविन, लन्दन १९५१ ई०एवं १९५७ ई० आगमयुग का जैन-दर्शन पं० दलसुख मालवणिया, सन्मति ज्ञानपीठ आगरा (१९६६ ई०) आउटलाइन्स आफ झूलाजी थामसन आभास और सत् एफ०एच० ब्रेडले अनुदित, डा०फतहसिंह-हिन्दी समिति उत्तर प्रदेश-१९६४ ई० आस्पेक्ट्स आफ महायान बुद्धिज्म नलिनाक्ष दत्त एण्ड इटस् रिलेशन टू हीनयान आई बिइंग क्रियेटिव इरविंग बबिट, हाउटन मिफलिन कम्पनी बोस्टन १९३२ आत्ममीमांसा पं० दलसुख मालवणिया, जैन संस्कृति संशोधन मण्डल, बनारस १९५३ इण्डियन फिलासफी (राधाकृष्णन) भाग जार्ज एलन एण्ड अनविन, लन्दन १ एवं २ इसिभासियम् (ऋषिभाषित) सूरत १९२७ इष्टोपदेश पूज्यपाद बम्बई १९५४ इतिवृत्तक धर्मरक्षित महाबोधि सभा सारनाथ बुद्धान्द २४९९ ईशावास्योपनिषद् गीता प्रेस गोरखपुर सं० २०१७ इण्यिन थाट्स एण्ड इट्स डेव्हलपमेन्ट श्वेट्ज़र, Adam & Charles Black 4,5 & 6 Soho Squore, London W-1, जेम्स हैस्टिंग टी० एण्ड टी० क्लार्क, एडिनबर्ग इनसाइक्लोपीडिया आफ रिलिजन एण्ड एथिक्स इण्डिविज्वलिज्म डब्ल्यू० फिटे, लागमेन्स ग्रीन एण्ड कम्पनी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001675
Book TitleJain Bauddh aur Gita ke Achar Darshano ka Tulnatmak Adhyayana Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages562
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size10 MB
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