SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 22
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषय सूची भारतीय आचारदर्शन का स्वरूप १. आचारदर्शन को मूलभूत समस्याएँ २. आचारदर्शन के अध्ययन की आवश्यकता ३. सैद्धान्तिक अध्ययन का व्यावहारिक जीवन से सम्बन्ध विशुद्ध सैद्धान्तिक दृष्टिकोण ६ / विशुद्ध व्यावहारिक दृष्टिकोण . ६ / समन्वयवादी दृष्टिकोण ६/ ४. आचारदर्शन की परिभाषा धर्म नियमों या आज्ञाओं का पालन है ९ / धर्म चारित्र का परिचायक है ९ / धर्म कर्तव्य की विवेचना करता है १०/ धर्म परम श्रेय की विवेचना करता है १० / ५. भारतीय परम्परा में आचारदर्शन (नोतिशास्त्र) की प्रकृति क्या नीतिशास्त्र कला है ? १२ / नीतिशास्त्र की दार्शनिक प्रकृति १३ / ६. नैतिक प्रत्यय और उनके अर्थ ७. भारतीय आचारदर्शनों की सामान्य विशेषताएँ ८. नैतिक चिन्तन की भारतीय एवं पाश्चात्य परम्पराओं में प्रमुख अन्तर ९. पाश्चात्य विचारकों के भारतीय आचारदर्शन पर आक्षेप और उनका प्रत्युत्तर भारतीय आचारदर्शन में ज्ञान की विधाएँ in m १. ज्ञान की दो विधाएँ २. जैन दर्शन के अनुसार ज्ञान की विधाएँ ३. बौद्ध दर्शन में ज्ञान की विधाएँ ४. वैदिक परम्परा में ज्ञान की विधाएँ ५. पाश्चात्य परम्परा में ज्ञान की विधाएँ m m m Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001674
Book TitleJain Bauddh aur Gita ke Achar Darshano ka Tulnatmak Adhyayana Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1987
Total Pages586
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Philosophy
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy