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________________ प्रस्तावना ७९ [प्रकाशन-सं. पं. इन्द्रलाल व खूबचन्द्र, माणिकचंद्र ग्रंथनाला, बम्बई, १९१७ ] ' ३७. प्रभाचन्द्र--श्रवणबेलगोल के दो लेखों में मूलसंघदेशी गण के आचार्य रूप में प्रभाचन्द्र का वर्णन मिलता है। एक लेख में उन्हें पद्मनन्दि का शिष्य तथा कुलभूषण आदि का गुरुबन्धु कहा गया है तथा दूसरे में उन के गुरु का नाम वृषभनन्दि चतुर्मुखदेव एवं गुरुबन्धुओं के नाम गोपनन्दि आदि दिये हैं। बाद में प्रभाचन्द्र धारा नगरी में निवास करने लगे। वहां उन के गुरु माणिक्यनन्दि तथा गुरुबन्धु नयनन्दि थे। उन के दो ग्रन्थों-प्रमेयकमलमार्तण्ड तथा न्यायकुमुदचन्द्र की रचना धारा के परमार राजा भोज तथा उन के पुत्र जयसिंह के राज्यकाल में हुई थी। अतः ग्यारहवीं सदी का मध्य यह उन का कार्यकाल है । उन के अन्य ग्रन्थों में गा कथाकोष, सर्वार्थसिद्धिटिपन, महापुराण टिप्पन तथा शब्दाम्भोजभास्कर ( जैनेन्द्रव्याकरणन्यास ) प्रमुख हैं। प्रभाचन्द्र का प्रमेयकमल मार्तण्ड १२००० श्लोकों जितना विस्तृत है । यह माणिक्यनन्दि के परीक्षामुख की टीका है। मूल ग्रन्थ के छह उद्देशों के विषयविवेचन के बाद प्रभाचन्द्र ने नय तथा बाद इन दो विषयों के विस्तृत परिशिष्ट लिखे हैं और इस प्रकार माणिक्यनन्दि के अन्तिम सूत्र-सम्भवदन्यद् विचारणीयम्-का हेतु पूर्ण किया है । इस के अतिरिक्त मल ग्रन्थ के विवेचन में यथास्थान सर्वज्ञवाद, ईश्वरवाद, जीवास्तित्यवाद, वेदप्रामाण्यवाद आदि का भी उन्हों ने विस्तृत पर्यालोचन किया है। १) वादिराज के विषय में पं. प्रेमी ने जैन साहित्य और इतिहास में विस्तृत विबन्ध लिखा है (पृ. २९१)। २) जैन शिलालेख संग्रह भा. १ पृ. २६ तथा ११८॥ ३) चन्द्रोदय के कर्ता प्रभाचन्द्र इन से कोई तीनसौ वर्ष पहले हुए हैं यह पहले बताया है। रत्नकरण्ड, समाधितन्त्र तथा आत्मानुशासन की टीकाएं जिन्हों ने लिखी हैं वे प्रमाचन्द्र तेरहवीं सदी के प्रारम्भ में हुए हैं । ( विस्तार के लिए देखिए-पं. कैलाशचंद्र लिखित न्यायकुमुदचन्द्र की प्रस्तावना तथा जीवराजग्रन्थमाला में प्रकाशित आत्मानुशासन को प्रस्तावना।) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001661
Book TitleVishwatattvaprakash
Original Sutra AuthorBhavsen Traivaidya
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherGulabchand Hirachand Doshi
Publication Year1964
Total Pages532
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Literature
File Size9 MB
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