________________
( 186 ) 10. Rgveda 1.14.8.4; 1.14.8.10%; 2.2.17.1. 11. V.M. Apte ; Social and Economic conditions in the age of the
Rc-Samhita ; in Vedic Age ; 1957 ; Page 391. 12. Rgveda 1.9.5.6. 13. (1) Rgveda 7.2.16.11.
(2) S. R. Shastri ; Women in the Vedic Age ; 1951 ; Page 03. 14. Rgveda 1.24.7.8; 6.1.9.5; 7.3.10.2-4; 7.6.23; 8.4.7.5.
उत ने ई मरूतो वृद्धसेनाः स्मद्रोदसी समनसः सदन्तु । पृषदश्वासोऽवनयो न रथा' रिशादसो मित्रयुजो न दे वाः॥ ध्वं ज्योतिर्निहितं दृशये के मनो जविष्ठं पतयत्स्वन्तः । विश्वे देवाः समनसः सकेता एक ऋतुमभि वि यन्ति साधु । प्र यज्ञ एतु हेत्वो न सप्तिरूद्यच्छध्वं समनसो घृ ताचीः । स्तृणीति बहिरध्वराय साधूवर्वा शोचींषि देवयून्यस्थुः ।।
आ पुत्रासो न मातरं विभुत्रा : सानौ' देवासो बहिर्षः सदन्तु । मा विश्वाची' विथ्या मनवत्वग्ने मा नो दे वताता सुधस्कः ॥ ते सोषपन्त जोषमा यजत्रा ऋतस्य धारा': सुदुधा दुहानाः । ज्येष्ठं वो अद्य मह आ वसूनामा गन्तन समनोसो यति छ । पीवो' अन्नों रयिवृधः सुमे धाः श्वे तःसिषक्ति नियुता'ममिश्रीः । ते वायवे समनसो वि तस्थु विश्वेन्नरः स्वपत्यानि' चक्रुः ।।
आ नो" अद्य समनसो गन्ता विश्वे' सजोषसः ।
ऋचा गिरा मरूतो देव्यदिते सदने पस्त्ये' महि ॥ 15. Macdonell and Keith ; Vedic Index; 1958 ; Vol. II Page 429. 16. Macdonell and Keith; Op. Cit. 17. A.C. Das; Rgvedic Culture ; 1925 ; Pages 233-234. 18. Rgveda 1.12.2.4; 1.17.2.18; 1.20.1.3; 1.21.13.4; 9.2.8.5. 19. D. R. Karmarkar ; The Asvamedha-Its original Signification ;
A.B.O.R.I. ; Vol. XXX; Pages 332-345. 20. Sankhayāyana Srauta Sūtra 16. 13. 7-8; Translated by W.
Caland and Edited by Lokeshchandra ; 1953 ; Page 456. 21. Sankhyāyana Srauta Sutra; Chapters 16. 10 to 16. 14 Pages
452-459. 22. (1) A. B. Keith ; The Religion and Philosophy of the Vedas
and Upanişads ; 1925; Pages 347-348. (2) A. B. Keith ; The Veda of the Black Yajus School ; 1914 ;
Pages CXXXVII-CXL 23. Rgveda 10. 8. 5. 16 24. Taittiriya Brahmana 3.9.8
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org