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46 : तत्त्वार्थ सूत्र : अधो व मध्य लोक
प्राङ् मानुषोत्तरान् मनुष्याः । । १४ । ।
• आर्या म्लेच्छाश्च ।। १५ । ।
•
मानुषोत्तर पर्वत से पहले तक ही मनुष्य हैं। वे (मनुष्य) आर्य तथा म्लेच्छ हैं। (१४-१५)
भरतैरावतविदेहा: कर्मभूमयोऽन्यत्र देवकुरूत्तरकुरुभ्यः । । १६ ।।
देवकुरु और उत्तरकुरु को छोड़कर भरतवर्ष, ऐरावतवर्ष तथा विदेहवर्ष के क्षेत्र कर्म-भूमियाँ हैं । (१६)
नृस्थिती परापरे त्रिपल्योपमान्तरमुहूर्ते ( । १७८८
• तिर्यग्योनीनाम् च ।। १८ ।।
मनुष्यों की परास्थिति उत्कृष्ट आयु तीन पल्योपम तथा अपरायु जधन्य आयु एक अन्तर्मुहूत (१ अन्तरमुहूर्त ४८ मिनट से कम का काल ) है । तथा तिर्यञ्चों की स्थिति भी उतनी ही है। (१७-१८)
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